शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

विवेक के जीवन में विहान


9 अप्रेल 2011 , सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली ,समय --दोपहर 12 .07
निहाशा और विवेक एक पुत्र (विहान )के माता-पिता बन गए । मैं विमुग्ध थी कि नन्हा शिशु ,जो आँखें भी नही खोल पारहा था अपनी नन्ही उँगलियों को मुँह में देने की कोशिश करता हुआ आसपास कैसा नरम सा उजाला फैला रहा था । एकदम सुबह की कोमल धूप सा । प्रभाती सूरज के रूप सा । उसकी गुलाबी कोमल हथेलियों को छूते हुए मुझे अपने चारों ओर बेशुमार गुलाब खिलते हुए महसूस हुए । एक जीवन की यह अद्भुत सुबह .. ह्रदय के क्षितिज पर एक नया विहान ।


प्रियजन,
कुछ सुधी पाठकों की प्रतिक्रिया आई कि कस्बा व महानगर की तुलना कुछ तिक्त होगई है । हालाँकि मुझे तो ऐसा नही लगा किन्तु अगर उन्हें ऐसा महसूस हुआ है तो उसमें सत्यता होगी ही । आंशिक ही सही । उनकी राय का सम्मान करते हुए मैं वे अंश निकाल रही हूँ ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. नन्हें से विहान को बहुत प्यार , आशीष और आपसबों को बधाई

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  2. बहुत बधाई व शुभकामनाएँ

    *********************

    "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

    सवाई सिंह राजपुरोहित

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  3. सर्वप्रथम बधाई! पुराना समय आपकी मार्फ़त हमारे नज़रों से गुजर गया.. हमारी माता जी ने तो आजके समय में भी हमारे बच्चों की मालिश, अज्वाएन के द्गुन्यें की सेंक, वगैरह सब की है..

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  4. आप सबकी शुभ-कामनाओं के लिये हार्दिक रूप से आभारी हूँ ।

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  5. बहुत बहुत बधाई आपको और नेहा और विहान को भी ।
    और बीते समय की सुंदर तुलनात्मक प्रस्तुति के लिये विशेष बधाई ।

    शुभकामनाएं नन्हे विहान को स्वस्थ और प्रसन्न जीवन की ।

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  6. girija ji...blog par aapaki vikas yatra dekhakar bahut khush hun. meri shubhakamanaye.

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  7. आप सभी को नन्हेंमियां के आने की बहुत-बहुत बधाई ! आपकी लेखन शैली कमाल की है, कस्बे और शहरी जीवन का तुलनात्मक विवरण पढ़ने लायक है, नेहा जी ने भी पढ़ा या नहीं !

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  8. नन्हे विहान के आने पर बधाई । हमारे यहां भी पोता हुआ है और हम भी इसी अनुभव से गुजर रहै हैं ।

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