गुरुवार, 2 अगस्त 2012

एक सन्देश भाई के लिये


बाबुल ने जो बाग लगाया
मैया ने सींचा है ।
उसकी हरियाली ने भैया
सदा हमें खींचा है ।
उसकी रौनक चली न जाए
इतना रखना याद
भैया इतनी सी फरियाद ।

तुम उसकी करना रखवाली
जैसे करता माली
टहनी-टहनी रहे पल्लवित
महके डाली डाली ।
नेह सींचते रहना तुम
मैं दूँगी इसको खाद
भैया इतनी सी फरियाद

एक आँगन में हम-तुम खेले
लडे और रूठे थे ।
खींचतान भी होती थी पर
झगडे वे झूठे थे ।
सच थे ,सच हैं और रहें सच
अन्तर के संवाद ।
भैया इतनी सी फरियाद ।

द्वीपों ने बाँटी है चाहे
नदिया की यह धारा
नही विभाजित हो अपना यह
बन्धन प्यारा-न्यारा ।
भरती रहे उमंगें मन में
हर छोटी सी याद
भैया इतनी है फरियाद ।

तुझ पर वारूँ सारी खुशियाँ
दुनियाभर का नेह ।
कोई भी दीवार न हो
हर दूर रहे सन्देह ।
अटल रहे विश्वास हमारा
उम्मीदें आबाद ।
भैया इतनी सी फरियाद ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. भावमय करती प्रस्‍तुति ...
    इस स्‍नेहिल पर्व की अनंत शुभकामनाएं

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  2. लग रहा है कि एक एक शब्द मेरे लिए ही कहा गया है!! शायद हर बहन के ह्रदय से निकली हुयी बात है यह!! आपको प्रणाम दीदी!!

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    1. आज का दिन सचमुच बडा शुभ और उल्लासमय है । कितने-कितने बेशकीमती उपहार मिले हैं मुझे । अविसमरणीय...।

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    2. आज का दिन सचमुच बडा शुभ और उल्लासमय है । कितने-कितने बेशकीमती उपहार मिले हैं मुझे । अविसमरणीय...।

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  3. बहुत सुन्दर...भावपूर्ण...........

    सादर
    अनु

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  4. उत्तर
    1. अविनाश जी,आपकी कविताओं पर टिप्पणी नही हो पाती जिन्हें पढना एक अलग अनुभव देता है ।

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  5. बहुत बेहतरीन भाव भरी प्रस्तुति,,,,,

    रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  6. भैया के नाम बहुत सुंदर फरियाद..

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  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।

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