शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

प्रेम में ...

मैंने सुना है ,
जब किसी को प्रेम होता है
तब घनघोर अँधेरे में भी
एक नाम 
उतर जाता है पलकों में , 
रोशनी बनकर
पथरीली जमीन से फूट पड़ता है
एक रुपहला निर्झर ।

उस नाम को कलम बनाकर
बूटे बूटे में 
रात लिख देती है
इबारत चाँदनी की ।
और सुबह टाँक देती है उसे,
हर टहनी के कोट पर
फूल की शक्ल में ।

उस नाम को 
खुशबू की तरह घोल देती है हवा
फिज़ाओं में ।
तमाम प्रदूषण व गन्दगी के बीच भी
महकती रहती है जिन्दगी
दिन-रात..

और वह नाम ,
प्रतीक्षाकुल आँखों से
छलकता रहता है शीतल फुहार बनकर
तपते रेगिस्तान में ।

मैंने सुना है कि ,
जब प्रेम होता है 
तब जिन्दगी हँसकर कर सह लेती है ,
ठोकर ,पीड़ा और घाव ।
भूलकर हर अभाव ।

मैं सुनती हूं और सोचती हूं , 
प्रेम कभी होता नहीं 
कोशिशों से हरगिज़ 
वरना मैं भी जरूर करती 
कभी ऐसा ही प्रेम . 
!