tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post1493936760900410764..comments2024-03-23T21:12:19.100-07:00Comments on Yeh Mera Jahaan: छोटे दिन---दो कविताएंगिरिजा कुलश्रेष्ठhttp://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-17581977180063791752015-01-17T07:51:01.229-08:002015-01-17T07:51:01.229-08:00आदरणीय राजेश जी , ब्लॉग पर आपका आना ही मेरी एक उपल...आदरणीय राजेश जी , ब्लॉग पर आपका आना ही मेरी एक उपलब्धि है .धन्यवाद गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-50309857424156600662015-01-16T07:57:59.146-08:002015-01-16T07:57:59.146-08:00गिरिजा जी ,आज आपका ब्लॉग देखा .लाजवाब .कितना अच्छा...गिरिजा जी ,आज आपका ब्लॉग देखा .लाजवाब .कितना अच्छा लिखतीं हैं आप.मैं आपके लेखन का प्रशंसक तो पहले भी था परन्तु ब्लॉग पढ़ने के बाद मेरी विचारधारा की पुष्टि हुई है.आप जिस शांति से श्रजन कर रहीं है वह हम जैसे लोगों के लिए प्रेरणादाई है .मेरी कोटिशः बधाइयांराजेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06108985451218103187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-14740891758596593692011-01-26T02:10:29.351-08:002011-01-26T02:10:29.351-08:00माफ़ कीजियेगा लेखिका जी,
पहले तो उम्र के इतने बड़े...माफ़ कीजियेगा लेखिका जी,<br />पहले तो उम्र के इतने बड़े फर्क के कारण मुझे आप के लिए उपयुक्त संबोधन नहीं सूझ रहा है !!!!!!<br />आप कि पहली कविता इतनी अच्छी लगी कि ऐसा लगा मानो गागर में सागर भरने के बावजूत भी में <br />कविता कि तार तम्यता में इतना खो गया कि लगा कि कविता और होनी चाहिए !!!!<br />पर अनभूतियों का इतना सार्थक प्रयोग आज तक नहीं देखा आपको हार्दिक बधाई !!!!<br />दीपेन्द्र कुलश्रेष्ठDipendrahttps://www.blogger.com/profile/10542733728737023383noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-55991235280231881482011-01-18T09:23:05.149-08:002011-01-18T09:23:05.149-08:00kya kahane girija ji,dono rachnaon me umra ke anta...kya kahane girija ji,dono rachnaon me umra ke antar anusar sundar shabd sanyojan. badhai.k.joglekarhttps://www.blogger.com/profile/17284967212222142828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-80200417994216703462010-12-25T07:46:40.515-08:002010-12-25T07:46:40.515-08:00क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
आशीषमय उजा...क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के <br />आशीषमय उजास से<br />आलोकित हो जीवन की हर दिशा <br />क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो <br />जीवन का हर पथ. <br /><br />आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं<br /><br />सादर<br />डोरोथीDorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-3713984991902467922010-12-23T06:41:10.236-08:002010-12-23T06:41:10.236-08:00गिरिजा जी!
पहली कविता तो सचमुच सारे छोटे छोटे बिम्...गिरिजा जी!<br />पहली कविता तो सचमुच सारे छोटे छोटे बिम्बो को समेटकर फैली हुयी है हर लाइन में... और दूसरी सो स्वीट..<br />बहुत खूब. एक उम्दा रचनाकार की यही पहचान है कि जितनी सहजता से परिपक्व पाठक के लिए लिख जाए, उतना ही सहज बाल साहित्य में भी.. जो यहाँ देखने को मिल रहा है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-86343099547695866462010-12-22T03:46:11.910-08:002010-12-22T03:46:11.910-08:00भाभी के चौके में
जाने गए नही कबसे
ड्राइंगरूम तक स...भाभी के चौके में <br />जाने गए नही कबसे<br />ड्राइंगरूम तक सिमटे <br />रिश्ते--नातों जैसे दिन <br />रिश्ते नाते तो अब निभाए जा रहे है आत्मीयता ना जाने कहाँ खो गयी , अच्छी रचनाSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-13017659374423977662010-12-22T00:54:14.686-08:002010-12-22T00:54:14.686-08:00गिरिजा जी,
कविता तो आपने सर्दी के छोटे दिनोंकी अभि...गिरिजा जी,<br />कविता तो आपने सर्दी के छोटे दिनोंकी अभिव्यक्ति के लिए लिखी है मगर आपकी पहली कविता विषय की गरिमा के साथ साथ बदलते परिवेश में संकुचित होतीं रिश्तों की अकुलाहट को प्रतिविम्बित करती हुई मन को उद्वेलित करती है !<br />पहले चिट्ठी आती थीं<br />पढते थे हफ्तों तक<br />हुईं फोन पर अब तो<br />सीमित बातों जैसे दिन ।<br />दूसरी कविता में बाल सुलभ भावनाओं द्वारा सर्दी के छोटे दिनों के चित्र बड़े ही प्रभावशाली ढंग से उकेरने मैं आप सफल हुईं हैं !<br />अच्छी अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद !<br /><br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-36412130105563804772010-12-21T22:53:07.735-08:002010-12-21T22:53:07.735-08:00इसके पीछे कई कारणों में से एक यह भी है कि इस ऋतु म...इसके पीछे कई कारणों में से एक यह भी है कि इस ऋतु में दिनों का वही हाल हुआ लगता है जो हाल सस्ते डिटर्जेन्ट की धुलाई से शिफॅान की साडी का हो जाता है । दिन की चादर को खींच कर रात आराम से पाँव पसार कर सोती है । सूरज जैसे अपनी जेब से बडी कंजूसी से एक-एक पल गिन-गिन कर देता है । <br /><br />क्या बात है...क्या बात...मजा आ गया :)<br /><br />और कविता तो दोनों शानदार हैं..बेहतरीनabhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-60413709957065520232010-12-21T18:41:54.454-08:002010-12-21T18:41:54.454-08:00भाभी के चौके में
जाने गए नही कबसे
ड्राइंगरूम तक सि...भाभी के चौके में<br />जाने गए नही कबसे<br />ड्राइंगरूम तक सिमटे<br />रिश्ते--नातों जैसे दिन ..<br /><br />So realistic !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com