tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post1834487854036027685..comments2024-03-23T21:12:19.100-07:00Comments on Yeh Mera Jahaan: सोचो तो जरा....गिरिजा कुलश्रेष्ठhttp://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-46442870152217536832012-05-31T10:48:17.773-07:002012-05-31T10:48:17.773-07:00दीपिका जी सुधी पाठकों की टिप्पणियाँ ही तो रचना का ...दीपिका जी सुधी पाठकों की टिप्पणियाँ ही तो रचना का सही आकलन करतीं हैं । मुझे आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा है । आप फिर से राय दे सकतीं हैं ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-45432341297787295752012-05-30T01:43:45.818-07:002012-05-30T01:43:45.818-07:00इस कविता पर की गई मेरी टिप्पणी कहां गई :(इस कविता पर की गई मेरी टिप्पणी कहां गई :(दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-59578240839832480822012-05-23T08:30:00.147-07:002012-05-23T08:30:00.147-07:00सच बात कही है, इसके पहले कि जीवन निकल जाये, निश्चय...सच बात कही है, इसके पहले कि जीवन निकल जाये, निश्चयात्मक जी लिया जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-82441785818019321122012-05-22T05:16:34.513-07:002012-05-22T05:16:34.513-07:00आशा का धरातल थामे रहना जरूरी है ... खुद का व्यर्थ ...आशा का धरातल थामे रहना जरूरी है ... खुद का व्यर्थ होना तो कभी भी संभव नहीं जब तक सोच का दिया जलता रहता है ... <br />सच है की बहुत कुछ है अभी ... मिलन की आशा में ... मिलन से अलग ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-37661341707962910152012-05-22T05:02:16.600-07:002012-05-22T05:02:16.600-07:00गहन दर्शन्।गहन दर्शन्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-30633038326875713302012-05-22T01:09:12.815-07:002012-05-22T01:09:12.815-07:00'कितनी खुशकिस्मती है, शेष होना'
सोच के धरा...'कितनी खुशकिस्मती है, शेष होना'<br />सोच के धरातल पर एक आवश्यक दस्तक...<br />ज़रूरी है यह सोचना!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-48193439891425119392012-05-21T23:51:34.240-07:002012-05-21T23:51:34.240-07:00अभी कुछ तो शेष है कहीं
जिसे सोच कर---
मन होजाता ह...अभी कुछ तो शेष है कहीं <br />जिसे सोच कर---<br />मन होजाता है ,नीम का झुरमुट..<br /><br />वाह...<br />बहुत सुंदर भाव गिरिजा जी.<br /><br />सादर.<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com