tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post7281620053178058013..comments2024-03-23T21:12:19.100-07:00Comments on Yeh Mera Jahaan: कोहरे में डूबी सुबह गिरिजा कुलश्रेष्ठhttp://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-4615026390577436612014-12-25T17:57:28.607-08:002014-12-25T17:57:28.607-08:00वाह, कोहरे का माया को प्रत्यक्ष कर दिया आपने तो ,ए...वाह, कोहरे का माया को प्रत्यक्ष कर दिया आपने तो ,एक भरा-पुरा संसार आँखों से ओझल बस ध्वनियाँ बची हैं -जैसे सृष्टि के प्रारंभ से पूर्व, केवल शब्द.<br /> कुछ विस्मय भी कि छत्तीस बरस पहले की नादान उम्र में , भ्रष्टाचार को कविता में निरूपित कर सकीं.मनोरम अभिव्यक्ति !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-47210777514628865952014-12-24T06:36:52.273-08:002014-12-24T06:36:52.273-08:00धुन्ध में जीवन और उसके अन्दर का सच।धुन्ध में जीवन और उसके अन्दर का सच।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-58493423427037043442014-12-23T07:32:17.411-08:002014-12-23T07:32:17.411-08:00सलिल भैया ,टाइप करने में कुछ मुश्किल तो आ रही है क...सलिल भैया ,टाइप करने में कुछ मुश्किल तो आ रही है क्योंकि एक शब्द लिखने पर विकल्प में तीन--चार शब्द आजाते हैं .चयन का ध्यान नहीं रहता पोस्ट करने के बाद रचना का पुनरावलोकन न करंने से ऐसी गलतियाँ होती हैं . .अच्छी बात यह है कि रचना को आप पढ़ लेते हैं तो सुधार हो ही जाता है . <br />ऐसी और बहुत सी कविताएँ हैं . उन्हें देख रही हूँ . अभी मैंने अपनी पहली कविता देखी जो ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते हुए लिखी थी . कभी यहाँ पोस्ट करुँगी ऐसे ही आलस्यवश .उनका भी इस तरह उद्धार होता चलेगा . गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-64056206604894940232014-12-23T06:02:57.505-08:002014-12-23T06:02:57.505-08:00 बहुत ही भाव पूर्ण रचना...आभार बहुत ही भाव पूर्ण रचना...आभारMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-73086965570224955802014-12-23T05:06:18.891-08:002014-12-23T05:06:18.891-08:00दीदी! आपकी ये कविताएँ रखी कहाँ होती हैं जिन्हें आप...दीदी! आपकी ये कविताएँ रखी कहाँ होती हैं जिन्हें आप इतने-इतने सालों बाद निकालकर अपने वर्त्तमान के आलस्य का "प्रायश्चित" कर लेती हैं?? नए टाइपिंग टूल से टाइप करने में इस बार कुछ त्रुटियाँ दिख रही हैं. <br />"सुनाई दे रहे हैं सिर्फ आवाजें" - सुनाई दे रही हैं<br /> की जगह<br />और "पारभाषी आवरण" - पारभासी आवरण की जगह<br /><br />और इस रचना के बारे में क्या कहूँ. फ़िलहाल तो इस अनुभव से वंचित हूँ. मगर कल्पना कर सकता हूँ. धुन्ध तो वैसे भी बड़ी रहस्यमयी होती है. आश्चर्य क्या कि आपने इसमें से कुछ रहस्य अपनी कल्पना से उद्घाटित किये हैं... न जाने कितने छिपे होंगे इस कोहरे के पीछे! मेरे लिये तो आपकी यह कविता सूरज के बग़ैर माइक्रोवेव ऑवेन जैसे एक दिन की तरह है, जिसकी ऊष्मा से कोहरा छँट रहा है और कई रहस्यों से पर्दा उठ रहा है! <br />एक बार फिर आपकी उपमाओं पर मुग्ध हूँ! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-36383010898199764892014-12-22T22:23:58.515-08:002014-12-22T22:23:58.515-08:00सर्द और धुंध भरी सुबह का बिम्ब सर्द और धुंध भरी सुबह का बिम्ब सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.com