tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post7399859101862431323..comments2024-03-23T21:12:19.100-07:00Comments on Yeh Mera Jahaan: और कुछ भी नहीगिरिजा कुलश्रेष्ठhttp://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-67748889455569791672012-05-18T02:38:20.874-07:002012-05-18T02:38:20.874-07:00क्योंकि उनकी नम आँखों में ,बिना माँगे ही क्षमा कर ...क्योंकि उनकी नम आँखों में ,बिना माँगे ही क्षमा कर देने वाले हृदय में केवल और केवल स्नेह था और कुछ भी नही । यही तो मां की निस्वार्थ ममता है ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-10264164718611402732012-05-15T12:29:46.099-07:002012-05-15T12:29:46.099-07:00हर माँ का दिल ऐसा ही होता है ...अच्छी प्रस्तुतिहर माँ का दिल ऐसा ही होता है ...अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-4743765621422082572012-05-15T11:02:10.361-07:002012-05-15T11:02:10.361-07:00गिरिजा जी, ये तो माँ का स्वाभाव ही होता है... बढ़ि...गिरिजा जी, ये तो माँ का स्वाभाव ही होता है... बढ़िया प्रस्तुति...लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-36198747759963872452012-05-15T09:12:27.229-07:002012-05-15T09:12:27.229-07:00भावुक कहानी..भावुक कहानी..दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-44301281579846656622012-05-15T05:11:45.959-07:002012-05-15T05:11:45.959-07:00क्रोध भी उसी पे ज्यादा आता है जिससे प्रेम होता है ...क्रोध भी उसी पे ज्यादा आता है जिससे प्रेम होता है ... परवा नहीं करता ... पर माँ का मन उस फक्कड कों जानता है ... मन में उतरती रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-27593710776886239892012-05-15T04:33:39.215-07:002012-05-15T04:33:39.215-07:00नासपीटा, निपूता और मरा... ये शब्द जब किसी माँ कि म...नासपीटा, निपूता और मरा... ये शब्द जब किसी माँ कि मुंह से निकलते हैं तो इनका अर्थ बिलकुल ही बदल जाता है... क्योंकि वास्तव में ये शब्द उसके मुंह से ही निकलते हैं, दिल से नहीं.. दिल से तो वही निकलता है जो वो किसी से न कहती हुई मन ही मन बतियाती रहती है खुद से.. कैसे खाता होगा, कैसे रहता होगा, कौन ख्याल रखता होगा उसका वगैरह!!<br />सारी दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं में इकलौता मीठा शब्द है यह, जिसे समझने के लिए सिर्फ दिल की भाषा जानना ज़रूरी है..!! गिरिजा जी, हर बार की तरह एक ममतामयी लघुकथा!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-18921136566067037142012-05-15T00:43:34.351-07:002012-05-15T00:43:34.351-07:00इसी का नाम तो माँ है.....................
उसके पास...इसी का नाम तो माँ है.....................<br />उसके पास सिर्फ दिल होता है,दिमाग नहीं...................<br /><br />सुंदर कथा....<br />सादर.ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com