tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post8927931995027795058..comments2024-03-23T21:12:19.100-07:00Comments on Yeh Mera Jahaan: कुछ तो कहो गिरिजा कुलश्रेष्ठhttp://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-32148148883830101152015-04-16T23:31:07.622-07:002015-04-16T23:31:07.622-07:00तुम यह न देखो कि
एक कुहासा कभी--कभी
कर देता है अ...तुम यह न देखो कि<br /> एक कुहासा कभी--कभी <br />कर देता है अदृश्य<br /> हमें एक दूसरे के लिये ।<br />बेहतरीन पंक्तियाँ भाव पूर्ण प्रस्तुति रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-23173095845568568292015-04-10T00:55:15.274-07:002015-04-10T00:55:15.274-07:00सन्नाटा बढ़ जाए ,
इससे पहले बात करो .
सन्देहों को...सन्नाटा बढ़ जाए , <br />इससे पहले बात करो .<br />सन्देहों को तोड़ो .<br />मतभेदों की रात करो .<br />तुम मेरी सुनो<br />मैं तुम्हारी सुनूँ<br />अवरोधों पर घात करो .<br /><br />विस्मयकारी रचना , आभार आपका !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-32331144343964520552015-04-08T01:58:13.159-07:002015-04-08T01:58:13.159-07:00बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति। बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-29717498939166517802015-04-07T02:19:40.763-07:002015-04-07T02:19:40.763-07:00बहुत सुंदर बहुत सुंदर सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-3786918305402573872015-04-01T20:37:34.960-07:002015-04-01T20:37:34.960-07:00ये बेहद बेहद प्यारी कविता है...!!
और ये पंक्तियाँ ...ये बेहद बेहद प्यारी कविता है...!!<br />और ये पंक्तियाँ तो बहुत सुन्दर - <br />तुम यह न देखो कि<br />एक कुहासा कभी--कभी<br />कर देता है अदृश्य<br />हमें एक दूसरे के लिये ।<br />देखो और समझो यह कि<br />बाद में किस तरह साफ चमचमाती है <br />बरसाती धूप की तरह ,<br />हमारी परस्पर निर्भरता abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-62460119836577567442015-04-01T08:07:07.638-07:002015-04-01T08:07:07.638-07:00बहुत सुंदर...भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... गिरिजा जीबहुत सुंदर...भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... गिरिजा जीMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-56659219580096216582015-04-01T07:13:33.833-07:002015-04-01T07:13:33.833-07:00दीदी, आपकी उपमाएँ इतनी सटॆएक होती हैं कि हमेशा दो ...दीदी, आपकी उपमाएँ इतनी सटॆएक होती हैं कि हमेशा दो बातें दिमाग़ में आती हैं (ईमानदारी से स्वीकार कर रहा हूँ और पढते समय नियंत्रण नहीं होता कि इन्हें मन के दरवाज़े के बाहर ही खड़ा कर दूँ) पहली बात - वाह, क्या बात कही है! और दूसरी बात, ये मेरे दिमाग़ में क्यों नहीं आती!<br />जूते का कंकड़ सारी बात कह देता है. <br />'मैं' और 'तुम' के माध्यम से जो बात कही है, काश वो "आप" के कानों तक भी पहुँचे. चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-87371246482938478072015-04-01T03:45:33.542-07:002015-04-01T03:45:33.542-07:00वाह..इसे कहते हैं सकारात्मकता की पराकाष्ठा..इससे भ...वाह..इसे कहते हैं सकारात्मकता की पराकाष्ठा..इससे भला कौन अछूता रह सकता है...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-44281147986112687062015-04-01T01:18:45.933-07:002015-04-01T01:18:45.933-07:00जो आजाता है हमारे बीच
जूते में फंसे कंकड की तरह
उस...जो आजाता है हमारे बीच<br />जूते में फंसे कंकड की तरह<br />उसे निकाल फेकें तुरंत .<br />मुश्किल हो जाता है सफर ,<br />दिल से दिल तक का ...<br />सहमत हूँ ...एक फंसा हुआ कंकड़ पूरे सफ़र को खराब कर सकता है ... अंतर्विरोध जल्दी ही सुलझा लेने चाहियें जिंदगी में ... जिंदगी इतनी बड़ी नहीं की उनको ढो सको ...<br />भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7529418855709302892.post-72345097141396740172015-03-31T10:20:39.860-07:002015-03-31T10:20:39.860-07:00तुम्हारी थोडी सी आत्मीयता ही
किस तरह लगा देती है
म...तुम्हारी थोडी सी आत्मीयता ही<br />किस तरह लगा देती है<br />मेरे पैरों में पंख ।<br />...वाह...कभी कभी छोटे छोटे मतभेद कितनी बड़ी दीवारें खडी कर देते हैं...बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com