(1)
तुमने तो कहा था ...
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सस्मित स्वीकारोक्ति भरे
तुम्हारे दो शब्दों को ही नाव बना कर
मैंने तो पार कर लिया
विशाल सागर भी ।
लम्बी निर्जन खामोशी के बीच
सुनती रही तुम्हारी आवाज
अचानक आए
प्रतीक्षित कॅाल की तरह
पढती रही तुम्हारे अक्षरों को
जैसे पढता है कोई ,
अपनी पहली बार छपी कविता को ।
सहेज कर रखी तुम्हारी प्रतीक्षा
जैसे सहेज कर रखता है कोई सन्दूक में
अपने एकमात्र कपडों के जोडे को ।
फिर भी तो
तुम्हारे लिये
मेरा अर्थ रहा
सिर्फ एक देह होना
एक भावविहीन देह ।
परखते रहे हमेशा
जैसे उलट-पलट कर
मोलभाव कर परखता है कोई
फल--सब्जी ।
कसौटी पर खरी न पाकर
उतार दिया मुझे दीवार से
गुजरे साल के कैलेण्डर की तरह ।
पर ...
तुमने तो कहा था कि,
तुम मुझसे प्रेम करते हो ।
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(2)
लिखो तुम
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बेमन ही लिखते रहे तुम
असंगत वाक्य
अर्थहीन खुरदरी भाषा
ऊबड-खाबड शब्द
और फिर झुँझला कर
काटते रहे ।
अब मत करो
मेरा उपयोग
यूँ रफ कापी की तरह ।
देखो मेरा हर पृष्ठ
साफ है ,उपयोगी है ।
लिख सकते हो तुम
ह्रदय के गीत ।
खूबसूरत रेखाचित्र ।
बेशुमार यादगार पलों का
हिसाब किताब
उलझे सवालों के
सुलझे जबाब ।
अंकित करो उन पर
गहरे अहसास
विश्वास की धरती
और उम्मीदों का आकाश
पढे जिसे समय
भर कर विश्वास ।
गिरिजा जी.. नारी मन की भावनाओं को बख़ूबी उकेरा है आपने.. बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंनारी मन की भावनाओं की अभिव्यक्ति मन को छू गई।
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस पर हर्दिक शुभकामनाएं।
तुम्हारे लिये
जवाब देंहटाएंमेरा अर्थ रहा
सिर्फ एक देह होना
एक भावविहीन देह ।
परखते रहे हमेशा
जैसे उलट-पलट कर
मोलभाव कर परखता है कोई
फल--सब्जी ।
कसौटी पर खरी न पाकर
उतार दिया मुझे दीवार से
गुजरे साल के कैलेण्डर की तरह ।
पर ...
तुमने तो कहा था कि,
तुम मुझसे प्रेम करते हो ।
नारी मन की भावनाओं की खूबसूरत अभिव्यक्ति की है गिरिजाजी आपने.. बहुत सुंदर....बहुत खूब !!
साथ ही महिला दिवस की शुभकामनाएं ।
कामना है कि आने वाले समय में सार्थक बदलाव हो ।
बहुत अच्छी लगीं आपकी ये कवितायेँ.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं
जवाब देंहटाएंआज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना
महिला दिवस पर आपकी रचनाएँ चर्चामंच के माध्यम से पढीं आप बहुत अच्छा लिख रही हैं, शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंकुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से नारी दिवस पर और सोचता हूँ, वक़्त के साथ उनकी स्तिथी सुधर रही है
जवाब देंहटाएं-----------------------------------
मैं देखती रही,
लोगों की हंसी में छुपी हिकारत,
कुछ मेरे ही लोग, मेरी छवी को क्षत-विक्षित करते रहे,
सोचा था, मर्यादा मुझसे है .. पर,
बन्धनों की इस परिभाषा को न समझपाने की ये सजा,
खुद तुमने को अपने वचनों को तोडा
पवित्र अग्नि की झुलसान तुम पर तो नहीं
मेरा अस्तित्व अगर तुमसे था तो,
इसका अहसास औरों को क्यूँ नहीं
मैं देखती रही,
तुमने कैसे मेरे आंसुओं को बहजाने दिया
तुमने लगाने दी प्रताड़ना की चोट मेरे माँ पटल पर
मेरे मार्गदर्शन की वजाए तुमने रस्ते ही कठिन कर दिए,
सोचा था बहुमूल्य हूँ तुम्हारे लिए
आज के बाद मैं क्या हूँ .....
इतना टूटने के बाद ..
मैं सिर्फ देखती रही ,
मेरा अस्तित्व ....................
सच में बहुत हीं सुंदर कविता, मैं थक नहीं सकते| प्रशंसा करते करते. Amazing.
जवाब देंहटाएंपरखते रहे हमेशा
जवाब देंहटाएंजैसे उलट-पलट कर
मोलभाव कर परखता है कोई
फल--सब्जी ।
कसौटी पर खरी न पाकर
उतार दिया मुझे दीवार से
गुजरे साल के कैलेण्डर की तरह ।
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...
dono hi kavitayen man ki kacchi bhaavnao ko ukerne me kaamyab rahi. prabhavshali lekhan.badhayi.
जवाब देंहटाएंआप सब सह्रदय पाठकों की आभारी हूँ । महिला-दिवस का असर मुझे तो सिर्फ अखबारों में दिखता है । जो भी हो भी बधाई तो मिल ही जाती है यही क्या कम है । फिर भी समय बदल रहा है । नई पीढी इस ओर काफी संवेदनशील व उदार है । यह अच्छी बात है ।
जवाब देंहटाएंमन्नू(विवेक )तेरी कविताएं हमेशा गहरी और सूक्ष्म तो होतीं हैं पर यहाँ तूने तो वह लिख दिया जिसे लिखने में मैं तो सदा असमर्थ ही रही ।
गिरिजा जी आज आपका परिचय BLOG WORLD COM पर ।
जवाब देंहटाएंब्लाग वर्ल्ड काम पर जाने के लिये इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल
से जायँ । धन्यवाद ।
अच्छी कवितायेँ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय गिरिजा जी सादर अभिवादन |सुंदर कविता |होली की रंगविरंगी शुभकामनाओं के साथ |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंदोनों कविताएं एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती हैं...बहुत ही गहरे भाव !....बधाई !
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंसादर
नेह और अपनेपन के
जवाब देंहटाएंइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
संवेदनशीलता को महसूस करने वाले यहाँ कम हैं ! शुभकामनायें !!
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