मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

सिडनी डायरी -2

 ब्लू माउंटेन और थ्री सिस्टर्स

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ब्लू माउंटेन सिडनी के पश्चिमी भाग में लगभग 100 कि.मी. दूर है . यह ऑस्ट्रेलिया की सबसे लम्बी पर्वत श्रंखला 'ग्रेट डिवाइडिंग रेंज' का ही कम ऊँचाई वाला हिस्सा है .इसकी अधिकतम ऊँचाई 1189 मीटर है . ब्लू माउंटेन में प्रकृति का व्यापक और सुरम्य संसार बसा हुआ है . कटूम्बा टाउन ,खड़ी ऊँची चट्टानें ,झरने ,सघन वन , गार्डन , नेशनल पार्क , अद्भुत रेलमार्ग आदि दर्शनीय स्थल हैं .थ्री सिस्टर्स भी यहाँ का एक बहुत ही प्रसिद्ध और अद्भुत स्थल है . कहा जाय तो ब्लू माउंटेन का सबसे खास लैण्डमार्क .आज हमारी योजना केवल थ्री सिस्टर्स और वाटर फॉल  देखने की थी .जेमसन वैली में सुदूर तक फैला विशाल प्राकृतिक वैभव ही लोगों को आकर्षित नहीं करता बल्कि 'थ्री सिस्टर्स' की रोमांचक कहानियाँ भी उन्हें खींचकर लाती हैं .  

थ्री सिस्टर्स

हम लोग और मयंक के तीन मित्र सपरिवार लगभग ग्यारह बजे पैरामेटा से ब्लू माउंटेन की ओर चल पड़े थे. पहुँचने में लगभग डेढ़ घंटा लगा . रास्ते में बहुरंगी वृक्षावलियों का आकर्षण भी कम नहीं था . कटूम्बा ऊंची नीची सड़कों वाला सुन्दर कस्बा है .पर्यटकों की भीड़ के कारण कार पार्किंग में खासी मुश्किल हुई . वह भी मात्र एक घंटा के लिये .

जैमसन वैली में सुदूर तक फैले सघन वनों के बीच स्थित 'थ्री सिस्टर्स' , बलुआ पत्थर से निर्मित बराबर खड़ी तीन चट्टानों की विलक्षण सृष्टि है .  वास्तव में इनका निर्माण हजारों लाखों वर्ष पहले पृथ्वी में होरहे व्यापक परिवर्तनों के प्रभाव से हुआ और धीरे धीरे ठोस चट्टानों में बदल गई . इनका यह भौगौलिक तथ्य है . लेकिन इन तीन चट्टानों को तीन बहिनें मानने के पीछे एक स्वप्निल सी पौराणिक कथा या जनश्रुति भी है जो जनजातीय इतिहास का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है . Glitter Gold against velvet backdrop .

कहा जाता है ये तीन बहिनें मीहनी ,विमलाह, और गन्नेडु कटूम्बा ट्राइब की सुन्दर आदिवासी कन्याएं थीं . इनकी ऊँचाई क्रमशः 922 , 918, तथा 906 मीटर है जो चमत्कारिक रूप से इस कथा की सत्यता को पुष्ट करती प्रतीत होती है . वे तीनों बहिनें एक अन्य नेपियन जनजाति के तीन य़ुवकों से प्रेम करती थीं . तीनों युवक भी भाई थे और तीनों बहिनों से विवाह करना चाहते थे लेकिन जनजातीय नियमों के अनुसार उनका विवाह निषिद्ध



था .पर वे नियम तोड़कर विवाह करना चाहते थे, इसलिये दोनों जनजातियों के समूहों में युद्ध छिड़ गया . एक ओझा ने अपने कुटुम्बा समूह की इन 
तीनों बहिनों को बचाने के लिये जादू के बल से  चट्टान बना दिया . उसने सोचा कि जब सब कुछ शान्त होजाएगा तो फिर से उन्हें मानवी के रूप में वापस ले आएगा लेकिन दुर्भाग्यवश वह ओझा युद्ध में मारा गया परिणाम स्वरूप चट्टान बनी वे तीनों बहिनें कभी अपने मौलिक (मानवी) रूप में नहीं आ सकीं .द थ्री सिस्टर्स जैसे उसी करुण कथा को सुनाती प्रतीत होती हैं .

कटूम्बा फॉल
हिन्दी और नागरी यहाँ भी 


एक अन्य कथा के अनुसार मीहनी ,विमलाह और गन्नेडु कटूम्बा ट्राइब के ओझा त्यावान की रूपवती बेटियाँ थीं . उसके पास जादुई शक्तियाँ थीं . जब वह भोजन की तलाश में जाता तो तीनों बेटियों को एक टीले पर चट्टान बना जाता क्योंकि वहाँ गहरे अँधेरे में एक विशाल भयानक मेमल रहता था जो धरती का सबसे डरावना प्राणी था .एक दिन त्यावान जब भोजन की तलाश में निकल गया एक बड़ा सेंटीपीड ( कनखजूरा ,जोंक ,शतपद) रेंगता हुआ मीहनी की तरफ आय़ा . मीहनी ने डरकर उसकी तरफ एक बड़ा पत्थर फेंका जो लुढ़ककर उस विशाल भयानक मेमल को लगा .वह नाराज होकर मीहनी का तरफ दौड़ा यह देख दूर से देख रहे त्यावान ने जादुई छड़ी से तीनों बेटियों को मेमल से बचाने के लिये पत्थर बना दिया . यह देख मेमल त्यावान की ओर झपटा तो त्यावान ने खुद को लायर पक्षी के रूप में बदल लिया . यहाँ तक सब ठीक था लेकिन उसी खींचतान में त्यावान के हाथ से झादुई छड़ी कहीं गिर गई . इस तरह त्यावान पक्षी के रूप में और उसकी बेटियाँ चट्टानों के रूप में बनी ही रह गईं .

आज भी इन्हें देखकर लगता है कि उदासी में डूबी हुई सी तीनों बहिनें मानों अपने सौन्दर्य और आकर्षण को बचाए रखने और फिर से मानवी होने की लालसाओं के साथ खड़ी हैं ,जो कभी नहीं बन सकेंगी . कहा जाता है कि त्यावान आज तक अपनी खोई हुई जादुई छड़ी की तलाश में है इसीलिये लायर पक्षी की पुकार आज भी जब तब जहाँ तहाँ सुनी जा सकती है. यहाँ तक कि जो लोग इस मिथक पर विश्वास नहीं करते वे भी 'द थ्री सिस्टर्स' की त्रासद कथा से हदय में एक टीस अनुभव करते हैं  . 

इस प्रसंग से मुझे बचपन में सुनी राजकुमार और दानव कन्या की एक रोमांचक कहानी याद आ गई है जिसमें एक दानव और उसकी बेटी घने जंगल की एक बड़ी गुफा में रहते हैं . उसे अपनी खूबसूरत बेटी की सुरक्षा की चिन्ता रहती थी खासतौर पर मानुस जाति से . इसलिये जब वह भोजन की तलाश में बाहर जाता है तो बेटी का सिर काटकर छत से टाँग जाया करता था . फिर लौटकर जादू के प्रभाव से सिर को धड़ से जोड़कर जीवित कर लिया करता था .    

यह बड़ी ही रोचक बात है और शोध का विषय भी मिथक कि जनश्रुतियाँ और परी-कथाएं हर देश-प्रदेश और हर जाति धर्म में होती हैं जो परस्पर किसी न किसी रूप में मिलती हैं और एक होने का संकेत देती हैं . हजरत नूह और मनु की जलप्लावन की घटना , मानव और आदमी की उत्पत्ति , हजरत इब्राहीम और राजा मोरध्वज की कथा और भी कितनी कथाएं , मिथक और जनश्रुतियाँ हैं जो न केवल किसी समय एक ही एक ही स्रोत से निकली प्रतीत होती हैं बल्कि हमें कभी तो किसी स्वप्नलोक की सैर कराती हैं और कभी हदय को एक वेदना से भर देती हैं . यह भी कि प्रेम , ईर्ष्या , संवेदना , मोह आदि मानव के स्वभाव में है, और प्रेम सदा विरोध का सामना करता रहा है चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो . 

शाम सात बजे जब शहर बिजली की रोशनी में जगमगा रहा था हम लौट आए थे . लौटते हुए हमेशा की तरह रास्ता छोटा लग रहा था . 










14 टिप्‍पणियां:

  1. सच मुझे भी यह जानकार बहुत अच्छा लगा कि मिथक और जनश्रुतियाँ परी कथाओं की तरह हर देश-प्रदेश और हर जाति धर्म में होती हैं जो इतिहास और विज्ञान से अलग हमें कभी किसी स्वप्नलोक की सैर कराती हैं तो कभी हदय को एक वेदना से भर देती हैं . यह भी कि प्रेम , ईर्ष्या , संवेदना , मोह आदि मानव के स्वभाव में है चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो

    ब्लू माउंटेन और ‘थ्री सिस्टर्स’ की सैर कराने हेतु धंन्यवाद आपका।

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  2. सच मुझे भी यह जानकार बहुत अच्छा लगा कि मिथक और जनश्रुतियाँ परी कथाओं की तरह हर देश-प्रदेश और हर जाति धर्म में होती हैं जो इतिहास और विज्ञान से अलग हमें कभी किसी स्वप्नलोक की सैर कराती हैं तो कभी हदय को एक वेदना से भर देती हैं . यह भी कि प्रेम , ईर्ष्या , संवेदना , मोह आदि मानव के स्वभाव में है चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो

    ब्लू माउंटेन और ‘थ्री सिस्टर्स’ की सैर कराने हेतु धंन्यवाद आपका।

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  3. मनमोहक यात्रा विवरण, लगभग नौ वर्ष पहले मैंने भी इस स्थान की यात्रा की थी, वाकई अति मनोरम स्थान है

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  4. अत्यंत रोचक यात्रा संस्मरण और चित्र भी बहुत प्यारा है।
    आपके वर्णन करने का अनूठा अंदाज़ बहुत अच्छा लगता है।

    सादर।

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    1. धन्यवाद श्वेता. आप रुचि से पढ़ती हैं तो मेरा उत्साह बढ़ता है.

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  5. दीदी, आपके यात्रा संस्मरणों का भी जवाब नहीं। आप न केवल स्थान विशेष की सुंदरता का फोटोग्राफिक वर्णन करती हैं, अपितु उस स्थान के साथ जुड़े इतिहास और लोक कथाओं को भी पाठकों तक पहुँचाती हैं। थ्री सिस्टर्स की दोनों लोक कथाएँ विश्वसनीय प्रतीत होती हैं। दोनों कथाओं से एक बात तो सिद्ध होती ही है कि पिता को भी अपनी पुत्रियों की उतनी ही चिंता होती है, जितनी माताओं को। साथ ही पहली कथा यह भी प्रमाणित करती हैं कि सच्चा प्यार कई देशों की लोकपरम्पराओं में अधूरा ही होता है।
    चलिये दीदी, अभी तो लम्बा प्रवास है आपका, इसलिये और भी रोचक जानकारियाँ मिलेंगी, एक नयी जगह से सम्बंधित।

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  6. आपकी टिप्पणी की प्नतीक्षा थी . इसने लेख की सार्थकता पर जैसे मोहर लगा दी है.

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  7. बहुत सुन्दर फोटो और लिखा भी कितनी रिसर्च करते बहुत ही सुन्दर है। कथाएं बेहद रोचक हैं। आप खूब यात्राएं करें और ऐसे ही रोचक संस्मरण हमें पढ़ने को मिलते रहें । बहुत आभार आपका।

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