सोमवार, 4 सितंबर 2023

सबसे आगे हम हैं

 

23 अगस्त 2023 को जब शाम साढ़े पाँच बजे से चद्रयान—3 की चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का सीधा प्रसारण किया जा रहा था देश-दुनिया के लाखों लोग प्रसारण पर टकटकी लगाए हुए थे . हम लोग भी उन्ही लाखों लोगों में से थे .पल पल धड़कनें बढ़ रही थीं . 2019 का चन्द्रयान मिशन-2 का स्मरण हो रहा था जिसमें चाँद की सतह पर उतरते उतरते से कुछ ही दूरी से आहिस्ता उतरने की बजाय पर नियंत्रण से अलग हो गया था और लक्ष्य के अनुसार सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी थी . शाम 6 बजकर चार मिनट पर जैसे ही विक्रम ने बड़ी कोमलता के साथ चाँद की सतह पर कदम रखे तो रोम रोम नर्त्तन करने लगा . भारत ही नहीं पूरे देश दुनिया में बसे प्रवासी भारतीय जयहिन्द का जयघोष करके झूम उठे थे . सचमुच यह एक अविस्मरणीय ऐतिहासिक पल था . चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का अग्रणी देश हमारा भारत हम लोगों के लिये मेरे लिये यह और भी अधिक हर्ष की बात थी क्योंकि इस अभियान में हमारा बड़ा बेटा प्रशान्त लगातार सात वर्ष से जुड़ा हुआ था . मैंने कार्य के प्रति उसकी लगन और मेहनत को देखा है . अपने कार्य के प्रति उसका निष्ठावान् होना मुझे आश्वस्त करता रहा है . चन्द्रयान –2 की तरह चन्द्रयान—3 की योजना निर्माण सम्पादन खास तौर पर सॉफ्ट लैंडिंग की कार्ययोजना में भी उसकी मुख्य भूमिका रही है ..

हमारे लिये यह प्रसन्नता की बात तो है कि प्रशान्त देश के एक गौरवशाली संस्थान से जुड़ा है .किन्तु विशेष और उल्लेखनीय बात यह है कि वह बिना किसी शोर या प्रचार किये अपना काम करता रहता है . कैमरे के आगे आना उसे पसन्द नहीं ,जबकि लोग कैमरे में आने के लिये कितने लालायित रहते हैं . यही कारण है कि इस अभियान में भी वह बहुत कम दिखा है . अपनी सीट से उठकर कैमरे के सामने आना उसने बिल्कुल ज़रूरी नहीं समझा . जब बहू सुलक्षणा ने मैसेज किया कि एक बार तो सामने आएं तब कहीं सीट से उठकर आया .

इस बार जबकि इतनी बड़ी सफलता देश के लिये एक उपलब्धि है . अभियान की हर टीम को अपेक्षा थी कि व्यक्तिगत् न सही इसरो प्रमुख कम से कम चन्द्रयान-3 अभियान की हर टीम को प्रधानमंत्री जी से मिलवाते ( सारे वैज्ञानिक तो अभियान में नहीं थे न) लेकिन कैमरे और मीडिया में 'इसरो' प्रमुख ही रहे या वे लोग जो इस अभियान में थे ही नहीं . इससे निश्चित ही लोगों को निराशा रही .जब मैंने कहा कि  'इसरो' प्रमुख को चन्द्रयान की पूरी टीम को कैमरे के सामने लाना चाहिये था और .प्रधानमंत्री जी भी महिला वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरी टीम से मिलते तो और अच्छा लगता . तो प्रशान्त ने कहा -–" यह सही है कि उससे प्रोत्साहन मिलता लेकिन मम्मी हम अपना काम देश के लिये करते हैं , किसी को जताने के लिये नहीं .इसलिये कोई फ़र्क नहीं पड़ता . फोटो को लोग कितना याद रखेंगे , पता नहीं , पर काम हमेशा याद किया जाता है .

तब मुझे प्रशान्त पर गर्व के साथ केदारनाथ अग्रवाल की यह कविता भी याद आई --

सबसे आगे हम हैं

पाँव दुखाने में;

सबसे पीछे हम हैं

पाँव पुजाने में ।

 

सब से ऊपर हम हैं

व्योम झुकाने में;

सबसे नीचे हम हैं

नींव उठाने में ।