गुरुवार, 24 नवंबर 2022

नदी होजाना आसमान का

 
जब जब नदी में उतर आता है आसमान 
नदी होजाता है खुद भी .
गहरी नीली नदी .

उगता है सूरज  नदी में ही
तैरता है ,लहरों में 
बतखों और पनडुब्बियों की तरह 
दौड़कर आने से लाल हुआ अपना चेहरा 
धो डालता है ठंडे पानी में ,
खेलता है आँखमिचौनी .
रुई के फाहों जैसे बादलों के साथ 

 
आसमान जब उतर आता है नदी में ,
चाँद भी नदी में उतरकर 
झूलता है लहरों के पालने में .
भूलता है ,कि चलना आसान नही है 
नदी हुए आसमान में .
डगमगाता है ,फिसलता है ,
गीला होगया चाँद .
थाम लेती हैं उसे
पानी पर झुकी बेंत की टहनियाँ  

तारे डूबते उतराते 
छकाते हैं मछलियों को .
जो घेरकर उन्हें ,
मचलती हैं झपटती हैं .
पॉपकार्न या लाई समझकर .   
मुस्कराते हैं जकरान्दा के पर्पल फूल 



 
लहर लहर बहता भी है आसमान
जब उतर आता है नदी में .
बतखें ,पेड़ ,फूल ,मछलियाँ 
खुश होते हैं आसमान छूकर 
इसे आसमान का नदी होना कहें  
या नदी का आसमान होजाना . 
बताता है यही 
कि कितना उदार और निर्मल है 
नदी का हृदय . 
समा लेता है हर रंग .
सिन्दूरी सफेद ,हरा ,
नीला या फिर सुर्मयी 
खुद बदले बिना ही ..