मैंने सुना है ,
जब किसी को प्रेम होता है
तब घनघोर अँधेरे में भी
एक नाम
उतर जाता है पलकों में ,
रोशनी बनकर
उतर जाता है पलकों में ,
रोशनी बनकर
पथरीली जमीन से फूट पड़ता है
एक रुपहला निर्झर ।
उस नाम को कलम बनाकर
बूटे बूटे में
रात लिख देती है
इबारत चाँदनी की ।
और सुबह टाँक देती है उसे,
हर टहनी के कोट पर
फूल की शक्ल में ।
उस नाम को
खुशबू की तरह घोल देती है हवा
फिज़ाओं में ।
तमाम प्रदूषण व गन्दगी के बीच भी
महकती रहती है जिन्दगी
दिन-रात..।
और वह नाम ,
प्रतीक्षाकुल आँखों से
छलकता रहता है शीतल फुहार बनकर
तपते रेगिस्तान में ।
मैंने सुना है कि ,
जब प्रेम होता है
तब जिन्दगी हँसकर कर सह लेती है ,
ठोकर ,पीड़ा और घाव ।
भूलकर हर अभाव ।
मैं सुनती हूं और सोचती हूं ,
प्रेम कभी होता नहीं
कोशिशों से हरगिज़
वरना मैं भी जरूर करती
कभी ऐसा ही प्रेम .
!
मैं सुनती हूं और सोचती हूं ,
प्रेम कभी होता नहीं
कोशिशों से हरगिज़
वरना मैं भी जरूर करती
कभी ऐसा ही प्रेम .
!