शनिवार, 25 नवंबर 2023

26 /11 की स्मृति में

26 नवम्बर मेरे लिये विशेष है . आज ही मेरे बड़े पुत्र प्रशान्त का जन्म हुआ . लेकिन आज का दिन मेरे साथ पूरे देश के लिये भी विशेष है क्योंकि सन् 2008 में आज के ही दिन पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के हमले से मुम्बई दहल उठी . लगभग 164 से भी अधिक लोग मारे गए . 300 से अधिक घायल हुए . कमांडो व सेना के जवान भी शहीद हुए . आज एक बहार फिर  उन शहीदों की पुण्य स्मृति में और कसाब को पहचानने वाली नौ साल की वीर बालिका ( जो अब युवा है ) देविका को समर्पित  एक गीत आप सबके अवलोकनार्थ  प्रस्तुत है . 

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एक बार फिर उसने गैरत को ललकारा है.

सद्भावों को जैसे यह आघात करारा है .

 

दिवा-स्वप्न कबतक देखोगे ,अब तो आँखें खोलो .

कब तक व्यर्थ चुकेंगी जानें ,कुछ तो साहस तोलो .

समझ सके ना बात समझ की ,उसको क्या समझाना .

सीखा है वह चिनगारी सा जलना और जलाना .

अमन चैन से रहना उसको कहाँ गवारा है .

 

लगे समझने जब उदारता को कोई कमजोरी .

चोरी करके उलटा हमें दिखाए सीनाजोरी .

बड़े प्यार से उसको उसके घर की राह दिखाओ .

अपनी ही सीमाओं में रहने का पाठ पढ़ाओ .

समझौतों वार्ताओं से कब हुआ गुजारा है .

 

है इतिहास गवाह कि चुप रहना डर जाना है .

औरों का ही मुँह तकते रहना ,मर जाना है .

समझौतों को एक तरफ रख ,दो जैसे को तैसा .

सबको समझादो यह देश नहीं है ऐसा वैसा .

वीरों ने बलिदानों से ही इसे सँवारा है .

 

किसी शहादत पर ना हो अब कोरी नारेबाजी .

आन बान की बात नहीं है कोई सब्जी भाजी   

स्वार्थ और सत्ता से ऊपर हों अपनी सीमाएं

कोई भी गद्दार न रहे ना अपने दाँए बाँए .

तर्क-भेद सब पीछे पहले देश हमारा है 


बुधवार, 22 नवंबर 2023

राग-विराग

 अमराई को हुआ विराग

बिसरा बूढ़ा लगता बाग,

भूल रहा सुर तानें मौसम

लगे हवा भी भागमभाग .

 

रिश्तों में जंजीर नहीं है

काँटा तो है पीर नहीं है

लहरें तोड़ किनारे बहतीं

हृदय नदी के धीर नहीं है

बिगड़ गईं तानें मौसम की  

कुपित बादलों का अनुराग .

 

टूटे बिखरे स्वप्न पड़े हैं .

सब अनीति की भेंट चढ़े हैं

सिकुड़ रहें हैं आँगन गलियाँ ,

पदलिप्सा के पाँव बढ़े हैं .

उखड़ी सड़कों सी उम्मीदें

उजड़ा जैसे अभी सुहाग .

 

जो धारा में बहने वाले

सुनलें हाँ हाँ कहने वाले

अनाचार का असुर खड़ा है  

न्याय सत्य के तीर निकालें

अपनी ही रोटियाँ सेकने

अब तो ना सुलगाएं आग  

 

दरवाजे कचनार खड़ा है .

सुरभित हरसिंगार बड़ा है

फिर इस बार आम की टहनी ,

गुच्छा गुच्छा बौर जड़ा है .

मौसम बदले ना अब ऐसे

बने बेसुरा कोई राग .

अमराई को हो अनुराग

बूढ़ा बिसरा लगे न बाग .

 

 

शनिवार, 11 नवंबर 2023

सज गई दीपावली में

 

जगमगाए दीप अनगिन नयन में सखि री.

सज गयी दीपावली में हदय की नगरी .


राम देखो लौट आए सिय लखन के साथ .

फूल बरसाए हदय ने आज दोनों हाथ .

आज उमड़ी है नदी छलके नयन जल री .

राम मेरे आगए हैं अवध की नगरी .


हदय के वन में प्रभु कर ही रहे थे वास .

किन्तु भावों की अवध को अब मिला मधुमास .

मुक्त होकर उड़ चली आसा विहंगिन री .

राम मेरे लौट आए .......


जीत यह विश्वास की धीरज प्रतीक्षा की .

नीति के ध्रुव सत्य की ,सच की समीक्षा की .

कामना पूरी हुई तपरत भरत की री  .

राम मेरे लौट आए ...


पुष्प में जैसे सुरभि है नीर है सरुवर .

प्राण जैसे देह में कण कण रमे रघुवर .

राम ही चिन्तन मनन हैं राम ही गति री .

राम मेरे लौट आए...


अवनि से आकाश तक प्रभु राम का ही राज

हवाओं में गूँजती है एक ही आवाज .

मन वचन और कर्म से तू राम ही रट री .

राम मेरे आगए हैं अवध की नगरी .