26 नवम्बर मेरे लिये विशेष है . आज ही मेरे बड़े पुत्र प्रशान्त का जन्म हुआ . लेकिन आज का दिन मेरे साथ पूरे देश के लिये भी विशेष है क्योंकि सन् 2008 में आज के ही दिन पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के हमले से मुम्बई दहल उठी . लगभग 164 से भी अधिक लोग मारे गए . 300 से अधिक घायल हुए . कमांडो व सेना के जवान भी शहीद हुए . आज एक बहार फिर उन शहीदों की पुण्य स्मृति में और कसाब को पहचानने वाली नौ साल की वीर बालिका ( जो अब युवा है ) देविका को समर्पित एक गीत आप सबके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है .
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एक बार फिर उसने गैरत
को ललकारा है.
सद्भावों को जैसे यह
आघात करारा है .
दिवा-स्वप्न कबतक
देखोगे ,अब तो आँखें खोलो .
कब तक व्यर्थ चुकेंगी
जानें ,कुछ तो साहस तोलो .
समझ सके ना बात समझ
की ,उसको क्या समझाना .
सीखा है वह चिनगारी
सा जलना और जलाना .
अमन चैन से रहना उसको
कहाँ गवारा है .
लगे समझने जब उदारता
को कोई कमजोरी .
चोरी करके उलटा हमें
दिखाए सीनाजोरी .
बड़े प्यार से उसको
उसके घर की राह दिखाओ .
अपनी ही सीमाओं में
रहने का पाठ पढ़ाओ .
समझौतों वार्ताओं से
कब हुआ गुजारा है .
है इतिहास गवाह कि
चुप रहना डर जाना है .
औरों का ही मुँह तकते
रहना ,मर जाना है .
समझौतों को एक तरफ रख
,दो जैसे को तैसा .
सबको समझादो यह देश
नहीं है ऐसा वैसा .
वीरों ने बलिदानों से
ही इसे सँवारा है .
किसी शहादत पर ना हो
अब कोरी नारेबाजी .
आन बान की बात नहीं
है कोई सब्जी भाजी
स्वार्थ और सत्ता से
ऊपर हों अपनी सीमाएं
कोई भी गद्दार न रहे
ना अपने दाँए बाँए .
तर्क-भेद सब पीछे पहले देश हमारा है
सुन्दर रचना
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