शनिवार, 11 नवंबर 2023

सज गई दीपावली में

 

जगमगाए दीप अनगिन नयन में सखि री.

सज गयी दीपावली में हदय की नगरी .


राम देखो लौट आए सिय लखन के साथ .

फूल बरसाए हदय ने आज दोनों हाथ .

आज उमड़ी है नदी छलके नयन जल री .

राम मेरे आगए हैं अवध की नगरी .


हदय के वन में प्रभु कर ही रहे थे वास .

किन्तु भावों की अवध को अब मिला मधुमास .

मुक्त होकर उड़ चली आसा विहंगिन री .

राम मेरे लौट आए .......


जीत यह विश्वास की धीरज प्रतीक्षा की .

नीति के ध्रुव सत्य की ,सच की समीक्षा की .

कामना पूरी हुई तपरत भरत की री  .

राम मेरे लौट आए ...


पुष्प में जैसे सुरभि है नीर है सरुवर .

प्राण जैसे देह में कण कण रमे रघुवर .

राम ही चिन्तन मनन हैं राम ही गति री .

राम मेरे लौट आए...


अवनि से आकाश तक प्रभु राम का ही राज

हवाओं में गूँजती है एक ही आवाज .

मन वचन और कर्म से तू राम ही रट री .

राम मेरे आगए हैं अवध की नगरी .

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 13 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. सुन्दर रचना | दीप पर्व की शुभकामनाएं |

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  3. राम ही चिन्तन मनन हैं राम ही गति री .
    वाह!!!
    भक्त भाव सम्पन्न बहुत मनभावन गीत👌👌🙏🙏

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  4. भावपूर्ण सृजन, दीप उत्सव की शुभकामनाएँ !

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