मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

मन-उन्मन

 यहाँ होता है ,

तो याद करता है बातें  

वहाँकी .

और वहाँ से निकलकर भटकता है

यहाँ..जाने कहाँ कहाँ...

व्यथा को परे झटककर

कोशिशें होती हैं .

बहलने की , उबरने की

और आनन्द में आशंकाएं

उसके समापन की .

कोई क्षण जब सामने होता है ,

देखता है उससे परे ..उस पार सुदूर..

पर गुज़र जाता है वह .

मलता है हाथ ,

चला गया वह पल ,

बिना बताए ,दूर से ही

मिल नहीं पाया उसे ,

जी नहीं पाया जीभर .  

हाय ,क्यों है यह मन ,

ऐसा उन्मन ?

जीते हुए सोचता है

अक्सर मृत्यु के बारे में ,

और देखना ,

मृत्यु के समय चाहेगा

मोहलत कुछ और जीने की .

रविवार, 19 फ़रवरी 2023

चार दिन न्यूकैसल के --2

गतांक से आगे  

27 जनवरी



सामने विशाल मालवाहक और यात्री जहाज
फोर्ट स्क्रैच्ले--नॉबी बीच के ऊपर पहाड़ी पर स्थित लगभग 200 वर्षों का इतिहास समेटे हुए यह एक स्थान सुरक्षा और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तो रहा ही है . यहाँ उस समय के सैनिकों के कपड़े जूते और दैनिक जीवन की वस्तुएं , बर्तन ,रसोई , वॉशबेसिन तोप बन्दूक सुरक्षित देखी जा सकती हैं ,अब यह पहाड़ी गन फाइरिंग और वहाँ से चारों ओर के मनोरम दृश्यावलोकन के लिये बहुत ही उपयुक्त है .

गन-फाइरिंग

गन-फाइरिंग—पारम्परिक समुद्री यात्रा के सम्मान में फोर्ट स्क्रैच्ले पर दोपहर एक बजे तोपें चलाई जाती हैं . उससे पहले की तैयारी और सावधानी देखना काफी रोमांचक होता है बहुत सारे पर्यटक इस प्रक्रिया को देखने पहुँचते हैं . 18-19 वी सदीं का कालखण्ड जैसे पुनःजीवित होजाता है . नेवी के कैप्टन निरीक्षण भी करते हैं कि फाइरिंग सुचारु रूप से हो पा रही है या नहीं.

इस पहाड़ी से एक ओर शहर तो दूरी तरफ पोर्ट पर खड़े विशाल मालवाहक जहाज , दस बारह मंजिला क्रूज़ , बड़े स्टीमर जैसे बस-स्टैण्ड पर बसें खड़ी रहती हैं और अपना नम्बर आते ही चल देती हैं .तीसरी चौथी तरफ अपनी विशालता के गर्व में लहराता और बड़े बड़े जहाजों को डुबा सकने की सामर्थ्य के अभिमान में गरजता निस्सीम सा नीलाभ सागर . उत्तुंग नीली लहरें तट से टकराकर दुग्ध-धवल होजाती हैं मानो वे हुलसकर शुष्क सूने मरुस्थलीय तट को मोतियों का हार पहनाकर बहला रही हों ,या माँ धरा को रजत की रूप-रुपहली मेखला पहना रही हों . या फिर लहरों के विशालकाय फणिधर क्रोध में गरजते फुफकारते हुए तट टकरा रहे हों और टकराकर फुफकारते हुए ढेर सारा झाग निकाल रहे हों . ऊपर तेज हवा पाँव उखाड़ने पर तुली होती है लेकिन नीचे हरे, नीले और सफेद रंग का मिश्रित मोहक सौन्दर्य आपके पाँव थाम लेता है .



फोर्ट स्क्रैच्ले पर ही कुछ आकर्षक वस्तुओं की शॉप है . विभिन्न डिजाइन के 'शार्पनर' मयंक को इतने पसन्द आए कि दस-ग्यारह खरीद डाले .6 डॉलर प्रति शॉर्पनर . वहाँ से नीचे उतरकर लंच कहाँ किया जाय ,इस पर विचार हुआ . मयंक शाकाहारी है लेकिन नई चीजें नए रेस्टोरेंट देखने का शौक है तय हुआ कि मैक्सिकन व्यंजनों का स्वाद लिया जाय .इसके लिये हमने अन्टोजिटॉस (antojitos) रेस्टोरेंट चुना . मैक्सिकन खाने में 'वैजीटेरियन' कुछ ठीक ठाक मिल जाता है . वहाँ मिला भी- वेजिटेबल्स रोल और बरिटॉ बॉउल.

हर विदेश की तरह यहाँ भी मांसाहार वालों के लिये तो अनेक अच्छे विकल्प है लेकिन शाकाहारी लोगों के लिये पिज्ज़ा ,बर्गर ,सबवे के अलावा कुछ नहीं . गनीमत है कि अब हर जगह भारतीय रेस्टोरेंट मिल जाते हैं . खाना खाने के बाद म्यूजियम देखने गए .

न्यूकैसल संग्रहालय –आदिवासी संस्कृति और परम्पराओं की प्राथमिकता रखने वाला यह म्यूजियम हर प्रसंग और घटनाओं के लिये सुन्दर पृष्ठ भूमि है . मौलिक रूप से इसकी स्थापना 1988 में हुई . अनेक प्राचीन वस्तुओं और रोचक व अनूठे उपकरणों के अलावा इस संग्रहालय का सबसे खास प्रोग्राम है –फायर एण्ड अर्थ का प्रदर्शन . यह दो बड़े उद्योग कोल और बी.एच.पी. का मिला जुला लगभग आधा घंटे का शानदार प्रदर्शन है . इसके अलावा सी-मॉन्स्टर की प्रदर्शनी भी थी 30 डॉलर के टिकिट में .

28 जनवरी--

लाइटहाउस
नॉबीज़ लाइट हाउस (Nobby ‘s Lighthouse)

सन् 1854 में स्थापित नॉबीज हैड पर स्थिति यह सक्रिय लाइट हाउस ( प्रकाश स्तम्भ) सुन्दर परिदृश्य के लिये ही नहीं बल्कि पोर्ट की निगरानी व सुरक्षा की दृष्टि से भी एक महत्त्वपूर्ण लैंडमार्क है . बलुआ पत्थर ( सैंडस्टोन) से निर्मित इस लाइटहाउस की ऊँचाई 10 मीटर है और रेंज 44 कि मी. कार पार्किंग से लगभग 800 की दूरी पर लगभग 220 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है . यहाँ से एक तरफ न्यूकैसल सिटी का विहंगम दृश्य है और तीन तरफ लहरों पर छोटे बड़े जहाजों को झुलाता सुदूर क्षितिज तक फैला नीलाभ सागर . असीम अथाह जलागार के सामने मानव का अस्तित्त्व कितना तुच्छ है , लेकिन हदय लहरों और तूफानों से जूझते मानव के उस नगण्य से पर अजेय अस्तित्व का अभिनन्दन करता है .

झील में आतिशबाजी

क्राइस्ट चर्च मेमोरियल गार्डन

चर्च
गए . यह बहुत शान्त और हरे भरे गार्डन के बीच एक विशाल और सुन्दर भवन है .इसे शहर का हदय कहा जाता है . इसके अन्दर जाने की स्वीकृति नहीं थी ,इसलिये हमने बाहर ही कुछ देर ठण्डी छांव में विश्राम किया .  

29 जनवरी---शिवम् आज सिडनी लौट गया .शाम को झील कि किनारे शानदार आतिशबाजी भी देखने मिली . 30 जनवरी को लौटते लौटते सब एक पूल में घंटों तैरे नहाए ..लगभग पाँच बजे हम लोग सिडनी लौट आए .

चार दिन का भ्रमण यह सचमुच बहुत शानदार और अविस्मरणीय रहा .   

बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

रहे किनारे पर



राह किसी की चले नहीं जो 
,

रहे किनारे पर .

सोच नदी को है 

धाराओं के बँटवारे पर .


कोई नाव पकड़ लेते जो पार उतर जाते .

लहर कतारों में,वे खुद को अलग नहीं पाते .

रेले गुज़रे, जमे रहे अपने ही द्वारे पर .

राह किसी की चले नहीं जो ...


पत्ते होते तो ले जाती साथ हवा अपने .

धारा में ,बहने वालों को सागर सागर के सपने .

उन सपनों की सीमा है बस एक शिकारे पर 

राह किसी की चले नहीं जो..


दरवाजे नीचे थे , झुकना हमें नहीं आया .

तप तपकर बादल सा उमड़ा गीत वही गाया .

दिल से निकले दो शब्दों के रहे गुजारे पर .

राह किसी की चले नही जो ..

 

जाने क्यों हाँ हाँ कहने की आदत नहीं रही .

राजमार्ग पर चले सदा पगडण्डी नहीं गही . 

चले सदा अपने पैरों ना किसी सहारे पर .

राह किसी की चले नहीं जो ..

 

इसीलिये चढ़ ना पाए वे कोई उच्च शिखर 

पर सोते निश्चिन्त , नहीं उनको गिरने का डर  .

चले नहीं ना कभी चलेंगे किसी इशारे पर .

राह किसी की चले नही जो  ...

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

सिडनी डायरी -9 'न्यू कैसल' में चार दिन

26 जनवरी 2023

हमारा गणतंत्र-दिवस . सुबह तड़के से ही हृदय में सदा की तरह उमंग थी . याद कर रही थी कि स्कूल में किस तरह आठ दिन पहले से ही गणतंत्र-दिवस की तैयारियाँ शुरु हो जाती थीं . स्वतन्त्रता दिवस के पर्व में बादलों की छाँव तले, कभी रिमझिम फुहारों में जहाँ गर्व के साथ देशभक्त वीरों और सेनानियों के प्राणोत्सर्ग की स्मृति में हृदय विगलित होता है , मेघ भी जैसे उनकी सजल स्मृतियों में हमारा साथ देते हैं , वहीं गणतन्त्र-दिवस शीत लहर के बीच गुनगुनी चमकीली सुहानी धूप में खुशी और धूमधाम का पर्व होता है . इस बार में स्कूल से ही नहीं अपनी मातृभूमि से भी दूर हूँ . टीवी पर प्रसारण देखना भी संभव नहीं था क्योंकि कार्यक्रम का जब प्रसारण हुआ होगा हम 'न्यू कैसल' पहुँच चुके थे .

न्यू कैसल साउथवेल्स के उत्तरी भाग में ही बसा विशाल नीलाभ जलधि की फेनिल तरंगों के सौन्दर्य से रचा बसा खूबसूरत शहर है . यह सिडनी से लगभग 170 कि.मी. दूर न्यूसाउथ वेल्स का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर माना जाता है . इस बार हमारे साथ पाँच परिवारों के ग्रुप में से शिवम् ही (सपरिवार) था . शिवम् बहुत ही ऊर्जावान् और महत्त्वाकांक्षी युवक है .समय का बड़ा पाबन्द . अगर सात बजे चलना तय है तो भले ही दो छोटे बच्चों का साथ है वह सात बजे ही निकलता है . हम जब एक घंटा दूरी पर थे शिवम् केव्स बीच पहुँच चुका था .साथ में पत्नी नेहा बच्चे अमायरा व रिधान तथा नेहा की माँ मधु सिंह भी थीं.

केव्स बीचऔर हम

केव्स बीच

लगभग 42 किमी में विस्तारित केव्स बीच स्वन-सी प्रायद्वीप में स्थित है जो मॉक्वारी लेक और प्रशान्त महासागर के बीच ग्रेटर न्यूकैसल का ही भाग जो सर्फिंग और फिशिंग के लिये खासतौरपर जाना जाता है लेकिन हमारे लिये सुदूर समतल बीच , काँच सा साफ पानी और अठखेलियाँ करती ,शोर मचाती ऊँची लहरों का आकर्षण ही प्रमुख था . शरारती बच्चे लहरें जैसे बचो बचो चिल्लाती हुई आती हैं और तेज थपेड़ों से किनारे की ओर धकेल देती है और लौटते हुए पैरों के नीचे से रेत खींचती हुई लेजाती है जैसे कोई पैरों के नीचे से कोई फर्श या दरी खींचले .उस दशा में अक्सर गिर जाते हैं ,हम भी खूब गिरे , सम्हले , लहरों के साथ खेलते रहे

तट के किनारे कई जगह ऊँची चट्टानों में 'केव्स' ( सुरंगें) होने के कारण इस तट का नाम केव्स बीच पड़ा है . चट्टानों के सँकरे रास्ते से उफनती गरजती लहरों का आना जाना बड़ा रोमांचक और दर्शनीय होता है . 

किनारे पर रेत में धूप सेकते बच्चे,युवा ,वृद्ध स्त्री पुरुष आदिम युग की याद दिला रहे थे ,लेकिन कोई ध्यान नहीं देता कि कौन क्या पहने हैं ..पहने है भी या ...यहाँ परिवेश ही है ऐसा ..आचार विचार व्यवहार देशकाल के अनुकूल ही शोभा देता है असहज भी नहीं लगता . अपने देश में यहाँ का उदाहरण देना उतना ही अनुचित है ,जितना यहाँ साड़ी पहनने का आग्रह .   

घंटों तक ..लहरों में झूलना ,हिचकोले खाना जितना आनन्दमय होता है बाहर निकलकर कपड़े बदलना उतना ही कष्टकर . समुद्र के नमक बहुल जल और रेत से लिपटे कपड़े ,उसपर सार्वजनिक खुली जगहों पर छोटे फव्वारों में किसी तरह नहाना , कपड़े बदलना और उतरे रेत भरे कपड़ों को थैली में भरकर कार में डालना बड़ा असुविधाजनक...तब स्थानीय गोरे युवक युवतियों का अत्यल्प कपड़े (पट्टियाँ) पहनकर नहाना काफी प्रासंगिक और आवश्यकतानुसार ही लगा . न उतारने में झंझट न पहनने में और ना ही धोने में...

नहाने के बाद सबने घर से बनाकर लाया तृप्तिदायक खाना खाया . फिर हम सब अपने विश्राम-स्थल की ओर चल पड़े .

वार्नर्स बे और पिप्पीज लॉज

वार्नर्स बे सिटी ऑफ मॉक्वरी का एक उपनगर है ( सिटी ऑफ मॉक्वरी ग्रेटर न्यू कैसल का ही एक हिस्सा है ) जो न्यूकैसल से 15 कि मी की दूरी पर है .यहाँ 'पिप्पीज' लॉज' में तीन रूम बुक किये थे एक शिवम्-नेहा व बच्चों का ,दूसरा मयंक श्वेता और अदम्य का  और तीसरा मेरा व नेहा की मम्मी का था .नेहा की मम्मी मुम्बई से हैं पर अपने शान्त ,मितभाषी स्वभाव  के कारण सबसे थोड़ी अलग हैं . पर उनकी साहित्यिक अभिरुचि , राजनैतिक व सामान्य ज्ञान चकित करने वाला है . ये ही बातें हैं जिनके कारण हमें साथ रहना बहुत सहज लगता है . 

लॉज में कमरे साफ सुन्दर और सुविधायुक्त थे . यह स्थान इतना सुन्दर लगा कि परिदृश्य देखते आँखें न भरें . लॉज के सामने ही सुदूर तक फैली वार्नर्स खाड़ी , उसमें दौड़ते स्टीमर , सी प्लेन , नावें ..हरे-भरे पेड़ ..टहलने के लिये सुन्दर रास्ता  . मधु जी और मैं सुबह सुबह दूर तक 'वाकिंग' के लिये निकल जाते थे . वह सचमुच एक अपूर्व आनन्दमय समय था . 

आगे भी जारी ....