रहे किनारे पर .
सोच नदी को है
धाराओं के बँटवारे पर .
कोई नाव पकड़ लेते जो पार उतर जाते .
लहर कतारों में,वे खुद को अलग नहीं पाते .
रेले
गुज़रे, जमे रहे
अपने ही द्वारे पर .
राह किसी की चले नहीं जो ...
पत्ते होते तो ले जाती साथ हवा अपने .
धारा में ,बहने वालों को सागर सागर के सपने .
उन सपनों की सीमा है बस एक शिकारे पर
राह किसी की चले नहीं जो..
दरवाजे नीचे थे , झुकना हमें नहीं आया .
तप तपकर बादल सा उमड़ा गीत वही गाया .
दिल
से निकले दो शब्दों के रहे गुजारे पर .
जाने क्यों हाँ हाँ कहने की आदत नहीं रही .
राजमार्ग पर चले सदा पगडण्डी नहीं गही .
चले सदा अपने पैरों ना किसी सहारे पर .
राह किसी की चले नहीं जो ..
इसीलिये चढ़ ना पाए वे कोई उच्च शिखर
पर सोते निश्चिन्त , नहीं उनको गिरने का डर .
चले नहीं ना कभी चलेंगे किसी इशारे पर .
राह किसी की चले नही जो ...
बहुत सुंदर दिल को छूता हुआ गीत!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका अनीता जी .
जवाब देंहटाएंपार.उतरना इतना आसान थोड़ी है दीदी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ।
सादर।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
धन्यवाद श्वेता . यह कविता , हर जगह , हर विभाग , साहित्य राजनीति आदि में पद , पुरस्कार , सम्मान आदि के लेकर होते भेदभाव को लेकर लिखी गई है . जो लोग किसी कृपा की आकांक्षा के लिये कुछ नहीं करते , कोई लीक नहीं पकड़ते , वे किनारे पर ही रह जाते हैं . हालाँकि उनका आत्मसम्मान अडिग होता है .
जवाब देंहटाएंरुकते वो ,यदि चलते उनके एक इशारे पर
जवाब देंहटाएंउनके इशारों पर चलने वाले दुनिया की नजर में कोई न कोई किनारा पा ही लेते हैं
पर जो अपने में जीते हैं उन्हें किनारों की परवाह ही कहाँ होती है ।
लाजवाब सृजन
बहुत ही चिंतनपरक
वाह!!!
..
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जवाब देंहटाएंपर हमको अफसोस नहीं पाए ना उच्च शिखर
छाँव न खोजी यहाँ वहाँ रहते अपने ही घर .
अपने पैरों चले, रहे ना किसी सहारे पर .
इसकी उसकी राह चले ना ...
प्रेरणा देती,सकारात्मकता की ऊर्जा प्रदान करती सुंदर रचना। आभार दीदी।
आदरणीया गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी ! प्रणाम !
जवाब देंहटाएंबहुत जिवंत एवं अनुभूत पंक्तिया , किसी और की राह नहीं , स्वयं के स्वाभिमान और गौरव के पथ पर चलना , अंततः स्वयं पुरस्कार सा लगता है !
श्रेष्ठ रचना के लिए बहुत अभिनन्दन !
आपको शिवरात्रि महापर्व की अनेक शुभकामनाये !
हर हर महादेव !
इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
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