बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

रहे किनारे पर



इसकी उसकी राह न पकड़ी
 ,

रहे किनारे पर .


कोई शाख पकड़ लेते तो पार उतर जाते .

लगी कतारों में ,हम खुद को अलग नहीं पाते .

रेले गुज़रे कई , रहे अपने ही द्वारे पर .

इसकी उसकी राह चले ना ...


पत्ते होते तो ले जाती साथ हवा हमको .

या बह जाते धारा में ,मिलता सागर हमको .

अड़े रहे अपनी मर्जी पर , कहलाए पत्थर .

इसकी उसकी राह चले ना..


 दरवाजे नीचे थे , झुकना हमें नहीं आया .

कोई छाँव देखकर .रुकना हमें नही भाया .

दिल से निकले दो शब्दों के रहे गुजारे पर .

इसकी उसकी राह चले ना ..

 

निकले वे दरवाजे से ही नज़रें बचा बचा .

उनको मेरा तट पर रहना बिल्कुल नहीं रुचा .

रुकते वो ,यदि चलते उनके एक इशारे पर .

इसकी उसकी राह चले ना ..

 

पर हमको अफसोस नहीं पाए ना उच्च शिखर

छाँव न खोजी यहाँ वहाँ रहते अपने ही घर .

अपने पैरों चले, रहे ना किसी सहारे पर .

इसकी उसकी राह चले ना ...

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर दिल को छूता हुआ गीत!

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  2. पार.उतरना इतना आसान थोड़ी है दीदी।
    बहुत सुंदर रचना ।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. धन्यवाद श्वेता . यह कविता , हर जगह , हर विभाग , साहित्य राजनीति आदि में पद , पुरस्कार , सम्मान आदि के लेकर होते भेदभाव को लेकर लिखी गई है . जो लोग किसी कृपा की आकांक्षा के लिये कुछ नहीं करते , कोई लीक नहीं पकड़ते , वे किनारे पर ही रह जाते हैं . हालाँकि उनका आत्मसम्मान अडिग होता है .

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  4. रुकते वो ,यदि चलते उनके एक इशारे पर
    उनके इशारों पर चलने वाले दुनिया की नजर में कोई न कोई किनारा पा ही लेते हैं
    पर जो अपने में जीते हैं उन्हें किनारों की परवाह ही कहाँ होती है ।
    लाजवाब सृजन
    बहुत ही चिंतनपरक
    वाह!!!

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  5. पर हमको अफसोस नहीं पाए ना उच्च शिखर
    छाँव न खोजी यहाँ वहाँ रहते अपने ही घर .
    अपने पैरों चले, रहे ना किसी सहारे पर .
    इसकी उसकी राह चले ना ...
    प्रेरणा देती,सकारात्मकता की ऊर्जा प्रदान करती सुंदर रचना। आभार दीदी।

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  6. आदरणीया गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी ! प्रणाम !
    बहुत जिवंत एवं अनुभूत पंक्तिया , किसी और की राह नहीं , स्वयं के स्वाभिमान और गौरव के पथ पर चलना , अंततः स्वयं पुरस्कार सा लगता है !
    श्रेष्ठ रचना के लिए बहुत अभिनन्दन !
    आपको शिवरात्रि महापर्व की अनेक शुभकामनाये !
    हर हर महादेव !

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