बुधवार, 29 जून 2022

अगर प्रेम विश्वास रहे

 

अगर प्रेम विश्वास रहे तो

साथ न छूटेगा .

अन्तर को जोड़ा जिसने

वो तार न टूटेगा .

 

संकल्पों के बीज भरी

फसलें लहराती हों

मोड़ मोड़ पर जहाँ हवाएं

फागुन गाती हों .

वहाँ लुटेरा कोई भी

खलिहान न लूटेगा .

अगर प्रेम विश्वास रहे...

 

यहाँ वहाँ से टुकड़े ले

जो भवन खड़ा करते हैं

सहज प्रवाहित धारा में

चट्टान अड़ा करते हैं .

होंगे वे निःशब्द 

समय जब कारण पूछेगा .

 

मनमानी को जो अपना

अधिकार समझते हैं .

पकी फसल पर जो

बनकर अंगार बरसते हैं

पर कब तक ,एक दिन तो

घट कच्चा है ,फूटेगा .

 

सोमवार, 20 जून 2022

कुछ कमी सी है .

 

हवाओं में आज सर्द नमी सी है .

खिड़कियों पर धुन्ध आकर जमी सी है.


ओप सूरज की सिमटती जा रही है ,   

फुनगियों पर धूप भी अनमनी सी है .


राह में आकर मिला जबसे समन्दर ,

धार नदिया की तभी से थमी सी है.


पेड़ ,पंछी ,फूल ,मौसम खुशनुमा हैं .

कौन फिर जिसके बिना कुछ कमी सी है ?


'भाव मेरा जो , वही उसका भी होगा  . '

सोच मेरी अब गलतफहमी सी है .


छूटकर पीछे कहीं कुछ रह गया है ,

सोच सारी उसी में ही रमी सी है .


उजड़ता ,बसता ,उगा लेता है फसलें ,

फितरतें मन की बहुत कुछ ज़मीं सी हैं .