बुधवार, 29 जून 2022

अगर प्रेम विश्वास रहे

 

अगर प्रेम विश्वास रहे तो

साथ न छूटेगा .

अन्तर को जोड़ा जिसने

वो तार न टूटेगा .

 

संकल्पों के बीज भरी

फसलें लहराती हों

मोड़ मोड़ पर जहाँ हवाएं

फागुन गाती हों .

वहाँ लुटेरा कोई भी

खलिहान न लूटेगा .

अगर प्रेम विश्वास रहे...

 

यहाँ वहाँ से टुकड़े ले

जो भवन खड़ा करते हैं

सहज प्रवाहित धारा में

चट्टान अड़ा करते हैं .

होंगे वे निःशब्द 

समय जब कारण पूछेगा .

 

मनमानी को जो अपना

अधिकार समझते हैं .

पकी फसल पर जो

बनकर अंगार बरसते हैं

पर कब तक ,एक दिन तो

घट कच्चा है ,फूटेगा .

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई एक न एक दिन सभी को अपने कर्मों का हिसाब देना ही पड़ेगा

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेरक गीत... लेकिन आप अपने लेखों में फॉण्ट का आकार थोड़ा बड़ा रखें ताकि पढ़ने में असुविधा न हो.

    जवाब देंहटाएं