तैरता है ,लहरों में ,
बतखों और पनडुब्बियों की तरह
दौड़कर आने से लाल हुआ अपना चेहरा
धो डालता है ठंडे पानी में ,
खेलता है आँखमिचौनी .
रुई के फाहों जैसे बादलों के साथ
आसमान जब उतर आता है नदी में ,
चाँद भी नदी में उतरकर
झूलता है लहरों के पालने में .
भूलता है ,कि चलना आसान नही है
नदी हुए आसमान में .
डगमगाता है ,फिसलता है ,
गीला होगया चाँद .थाम लेती हैं उसे
पानी पर झुकी बेंत की टहनियाँ
छकाते हैं मछलियों को .
जो घेरकर उन्हें ,
जो घेरकर उन्हें ,
मचलती हैं झपटती हैं .
पॉपकार्न या लाई समझकर .
मुस्कराते हैं जकरान्दा के पर्पल फूल
पॉपकार्न या लाई समझकर .
मुस्कराते हैं जकरान्दा के पर्पल फूल
लहर लहर बहता भी है आसमान
जब उतर आता है नदी में .
बतखें ,पेड़ ,फूल ,मछलियाँ
खुश होते हैं आसमान छूकर
इसे आसमान का नदी होना कहें
बताता है यही
कि कितना उदार और निर्मल है
नदी का हृदय .
समा लेता है हर रंग .
सिन्दूरी सफेद ,हरा ,
नीला या फिर सुर्मयी