बदरिया गरजे आधी रात .
बिजुरिया चमके आधी रात
रिमझिम रिमझिम सुधियाँ
बरसें
कैसी यह बरसात
अमराई में झूलें यादें
गाएं राग मल्हार .
महके नीबू और करोंदे
बेला हरसिंगार .
मोर पपीहा घोलें
कानों में रस की बरसात
बाड़ों पर छाई हैं बेलें
पकी निबोली नीम .
कच्चे खपरैलों में ही
थी खुशियाँ भरीं असीम
.
कितने किस्से और कहानी
तारों वाली रात .
बदरवा...
सावन में जब आ जाती
ससुरे से सारी सखियाँ .
पनघट पर हँस हँसकर
करती थी
मधुभीगी बतियाँ .
बहिन बेटियाँ सबकी
साझी
एक सभी का घाट . बदरिया
अम्मा ने बोई लहराईं
लम्बी पीत भुजरियां.
जातीं गातीं नदी
सिराने
धारा लहर लहरिया .
घोंट पीसते सुर्ख हुए
मेंहदी से दोनों हाथ .
बदरवा...
जाने किस आँधी में उजड़
गए
खुशियों के मेले .
हरी घास में चलते
फिरते
इन्द्रवधू के रेले .
हल के पीछे पीछे चलती
थी
बगुलों की पाँत
..बदररिया
सूने घाट बाट हैं सूनी
माँ बाबुल की देहरी .
नहीं नाचते मोर सशंकित
देख घटाएं गहरी .
बीते दिन नयनों में
छाए
भीगे अंसुअन गात .
बदरिया गरजे आधी रात .