शनिवार, 29 जुलाई 2023

बदरिया गरजे आधी रात

 

बदरिया गरजे आधी रात .

बिजुरिया चमके आधी रात

रिमझिम रिमझिम सुधियाँ बरसें

कैसी यह बरसात 


अमराई में झूलें यादें

गाएं राग मल्हार .

महके नीबू और करोंदे

बेला हरसिंगार .

मोर पपीहा घोलें

कानों में रस की बरसात   

 

बाड़ों पर छाई हैं बेलें

पकी निबोली नीम .

कच्चे खपरैलों में ही

थी खुशियाँ भरीं असीम .

कितने किस्से और कहानी  

तारों वाली रात . बदरवा...

 

सावन में जब आ जाती   

ससुरे से सारी सखियाँ .

पनघट पर हँस हँसकर करती थी

मधुभीगी बतियाँ .

बहिन बेटियाँ सबकी साझी

एक सभी का घाट . बदरिया

 

अम्मा ने बोई लहराईं

लम्बी पीत भुजरियां.

जातीं गातीं नदी सिराने   

धारा लहर लहरिया .   

घोंट पीसते सुर्ख हुए

मेंहदी से दोनों हाथ . बदरवा...

 

जाने किस आँधी में उजड़ गए

खुशियों के मेले .

हरी घास में चलते फिरते

इन्द्रवधू के रेले .

हल के पीछे पीछे चलती थी

बगुलों की पाँत ..बदररिया  

 

सूने घाट बाट हैं सूनी

माँ बाबुल  की देहरी .

नहीं नाचते मोर सशंकित

देख घटाएं गहरी .

बीते दिन नयनों में छाए

भीगे अंसुअन गात .

बदरिया गरजे आधी रात .

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (30-07-2023) को   "रह गयी अब मेजबानी है"    (चर्चा अंक-4674))   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 31 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. वर्षा चाहे कहीं भी कितनी ही आफ़त मचा दे, इसकी मदमस्त फुहारों का मनभावन स्वर्गिक संगीत किसका मन मोह नहीं लेगा? प्रकृति के इस अनुपम उपहार का यशोगान करती यह बहुत सुन्दर रचना है

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  4. भाव पूर्ण रचना, सावन ही क्या अब तो कोई भी रुत पहले जैसे नहीं रही, गाँव अब शहर की चौखट तक आ गये हैं

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  5. बहुत ही सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना

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