शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

उसकी बात


 खाली पड़े गमले में

अनायास ही उग आए थे

घासपूस जैसे छोटे छोटे पौधे  

अनजाने , अनचाहे .

उखाड़ फेंकना था

हटानी थी खरपतवार

गेंदा ,डहेलिया जैसे फूलों के लिये..

तैयार करना था गमला

एक पौधे के पत्ते लहलहाए ,

मुझे मत निकालो अभी रहने दो .

जो बात है , उसे कहने दो .

मैंने उसे रहने दिया

मुझे सुननी थी उसकी बात .  

आज आँखें खिल उठीं  

देखकर कि वह पौधा मुस्करा रहा है

एक सुन्दर गुलाबी फूल की सूरत में .

जिजीविषा और आत्मविश्वास से भरपूर

मानो कह रहा है ,

मैं खरपतवार नहीं हूँ .

कोई नहीं होता खरपतवार

नितान्त निजी है वह विचार

मापदण्ड हैं उसकी

उपयोगिता ,अनुपयोगिता .

स्थान ,भाव-बोध और सौन्दर्यप्रियता के .

मुझे देखकर भी तो कोई खुश होसकता है

जैसे तुम खुश होते , होना चाहते थे

डहेलिया या गेंदा के फूल देखकर .

अहा ,मैं तो अब भी खुश ..., बहुत खुश हूँ

तुम्हें देखकर यकीनन .”

अनायास ही कह उठा मेरा मन .