27 जनवरी
सामने विशाल मालवाहक और यात्री जहाज |
गन-फाइरिंग |
गन-फाइरिंग—पारम्परिक समुद्री यात्रा के सम्मान में फोर्ट स्क्रैच्ले पर दोपहर एक बजे तोपें चलाई जाती हैं . उससे पहले की तैयारी और सावधानी देखना काफी रोमांचक होता है बहुत सारे पर्यटक इस प्रक्रिया को देखने पहुँचते हैं . 18-19 वी सदीं का कालखण्ड जैसे पुनःजीवित होजाता है . नेवी के कैप्टन निरीक्षण भी करते हैं कि फाइरिंग सुचारु रूप से हो पा रही है या नहीं.
इस
पहाड़ी से एक ओर शहर तो दूरी तरफ पोर्ट पर खड़े विशाल मालवाहक जहाज , दस बारह
मंजिला क्रूज़ , बड़े स्टीमर जैसे बस-स्टैण्ड पर बसें खड़ी रहती हैं और अपना नम्बर
आते ही चल देती हैं .तीसरी चौथी तरफ अपनी विशालता के गर्व में लहराता और बड़े बड़े जहाजों को डुबा सकने की सामर्थ्य के अभिमान में गरजता निस्सीम सा नीलाभ सागर . उत्तुंग नीली लहरें तट से टकराकर दुग्ध-धवल होजाती हैं मानो वे हुलसकर शुष्क सूने मरुस्थलीय तट को मोतियों का हार
पहनाकर बहला रही हों ,या माँ धरा को रजत की रूप-रुपहली मेखला पहना रही हों . या फिर लहरों के विशालकाय फणिधर
क्रोध में गरजते फुफकारते हुए तट टकरा रहे हों और टकराकर फुफकारते हुए ढेर सारा झाग
निकाल रहे हों . ऊपर तेज हवा पाँव उखाड़ने पर तुली होती है लेकिन नीचे हरे, नीले और सफेद रंग का मिश्रित मोहक सौन्दर्य आपके पाँव थाम लेता है .
फोर्ट स्क्रैच्ले पर ही कुछ आकर्षक वस्तुओं की शॉप है . विभिन्न डिजाइन के 'शार्पनर' मयंक को इतने पसन्द आए कि दस-ग्यारह खरीद डाले .6 डॉलर प्रति शॉर्पनर . वहाँ से नीचे उतरकर लंच कहाँ किया जाय ,इस पर विचार हुआ . मयंक शाकाहारी है लेकिन नई चीजें नए रेस्टोरेंट देखने का शौक है तय हुआ कि मैक्सिकन व्यंजनों का स्वाद लिया जाय .इसके लिये हमने अन्टोजिटॉस (antojitos) रेस्टोरेंट चुना . मैक्सिकन खाने में 'वैजीटेरियन' कुछ ठीक ठाक मिल जाता है . वहाँ मिला भी- ‘वेजिटेबल्स रोल’ और ‘बरिटॉ बॉउल’.
हर विदेश की तरह यहाँ भी मांसाहार वालों के लिये तो अनेक अच्छे विकल्प है लेकिन शाकाहारी लोगों के लिये पिज्ज़ा ,बर्गर ,सबवे के अलावा कुछ नहीं . गनीमत है कि अब हर जगह भारतीय रेस्टोरेंट मिल जाते हैं . खाना खाने के बाद म्यूजियम देखने गए .
न्यूकैसल संग्रहालय –आदिवासी संस्कृति और परम्पराओं की प्राथमिकता रखने वाला यह म्यूजियम हर प्रसंग और घटनाओं के लिये सुन्दर पृष्ठ भूमि है . मौलिक रूप से इसकी स्थापना 1988 में हुई . अनेक प्राचीन वस्तुओं और रोचक व अनूठे उपकरणों के अलावा इस संग्रहालय का सबसे खास प्रोग्राम है –‘फायर एण्ड अर्थ’ का प्रदर्शन . यह दो बड़े उद्योग ‘कोल’ और ‘बी.एच.पी.’ का मिला जुला लगभग आधा घंटे का शानदार प्रदर्शन है . इसके अलावा ‘सी-मॉन्स्टर’ की प्रदर्शनी भी थी 30 डॉलर के टिकिट में .
28
जनवरी--
लाइटहाउस |
सन् 1854 में स्थापित नॉबीज हैड पर स्थिति यह सक्रिय लाइट हाउस ( प्रकाश स्तम्भ) सुन्दर परिदृश्य के लिये ही नहीं बल्कि पोर्ट की निगरानी व सुरक्षा की दृष्टि से भी एक महत्त्वपूर्ण लैंडमार्क है . बलुआ पत्थर ( सैंडस्टोन) से निर्मित इस लाइटहाउस की ऊँचाई 10 मीटर है और रेंज 44 कि मी. कार पार्किंग से लगभग 800 की दूरी पर लगभग 220 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है . यहाँ से एक तरफ न्यूकैसल सिटी का विहंगम दृश्य है और तीन तरफ लहरों पर छोटे बड़े जहाजों को झुलाता सुदूर क्षितिज तक फैला नीलाभ सागर . असीम अथाह जलागार के सामने मानव का अस्तित्त्व कितना तुच्छ है , लेकिन हदय लहरों और तूफानों से जूझते मानव के उस नगण्य से पर अजेय अस्तित्व का अभिनन्दन करता है .
झील में आतिशबाजी |
क्राइस्ट चर्च मेमोरियल गार्डन
चर्च |
29 जनवरी---शिवम् आज सिडनी लौट गया .शाम को झील कि किनारे शानदार आतिशबाजी भी देखने मिली . 30 जनवरी को लौटते लौटते सब एक पूल में घंटों तैरे नहाए ..लगभग पाँच बजे हम लोग सिडनी लौट आए .
चार
दिन का भ्रमण यह सचमुच बहुत शानदार और अविस्मरणीय रहा .
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