मंगलवार, 9 जून 2020

कविता रूठ गई है


( तीन चार साल बाद लिखा एक गीत)

चलते चलते चट्टानों पर 
चट्टानों सा निर्मम मन
कैसे लिख पाता फूलों को,
विस्मृत हुआ सुरभि का वन.
बिखरी है वह माला सी , ,
भावों की डोरी टूट गई है .
कविता मुझसे रूठ गई है .

लक्ष्य खड़े हैं चौराहे पर
सुबह-शाम के दोराहे पर
गुमसुम सी हैं सभी दिशाएं ,
ऋतुए चुप चुप आएं जाएं .
कहीं भीड़ में बालक से ज्यों,
माँ की उँगली छूट गई है .
कविता मुझसे रूठ गई है .

कभी प्रतीक्षाओं के पनघट
भी आबाद रहा करते थे.
घाट उतरकर गागर में
जल का कलनाद भरा करते थे.
उम्मीदों के घाट नहीं हैं 
गागरिया भी फूट गई है.
कविता मुझसे रूठ गई है .

वक्त कभी लहरों का नर्तन
और कभी मेघों का गर्जन
मोती कभी मिला करते हैं 
जब होता है सागर-मंथन.
उठी लहर , जाकर ना लौटी .
रेत किनारे छूट गई है .
कविता मुझसे रूठ गई है.

पीड़ा के गह्वर गहरे हैं ,
जा उद्गार कहीं ठहरे हैं
समझेगा भी कौन उन्हें अब ,
सबके मापदण्ड दोहरे हैं . 
भाव नहीं देती भावों का  .
भाषा भी अब कूट हुई है .
कविता मुझसे रूठ गई है .

दीपक का भी स्नेह चुक गया  ,
बाती जलती जाती है .
गेह उजाला अब क्या होगा
रजनी भी गहराती है .
सूरज को छल जाते बादल ,
सरेआम यह लूट नई है .
कविता मुझसे रूठ गई हैं  .



15 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जून २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. " क्या समझें क्या समझाएं ,
    लोगों के मापदण्ड दोहरे हैं "...
    दर्शन, पीड़ा और समाज का कटु सत्य .. सब एक साथ ... पूरा गीत ही अद्भुत ...

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  3. वक्त कभी लहरों का नर्तन
    और कभी मेघों का गर्जन
    मोती कभी मिला करते थे
    जब होता था सागर-मंथन.
    उठी लहर , जाकर ना लौटी .
    रेत किनारे छूट गई है .
    कविता मुझसे रूठ गई है.
    बेहतरीन रचना।

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  4. उम्मीद की आख़िरी किरण भी बुझ जाय तो सबकुछ बेमानी लगता है इस संसार में
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  5. यहां आने के लिये आप सभी का बहुत आभार

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  6. बहुत ही सुंदर रचना गिरजा जी ,अद्भुत नमन

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  7. जब अपने मन की अवस्था से मिलता जुलता गीत या रचना पढ़ने को मिल जाए, वह भी इतना सुंदर !!! तब उस रचना की प्रशंसा करने को शब्द कम पड़ जाते हैं दीदी....

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  8. कविता को दिल से पढ़ने के लिये धन्यवाद मीना जी

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  9. बहोत सुन्दर
    टाँग रखा था जिस पर मन,
    वह डोर रेशमी टूट गई है .

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