सोमवार, 15 दिसंबर 2025

मन पाए विश्राम जहाँ

 जीवन में हमारे साथ कुछ लोग ऐसे अवश्य होते हैं जिनसे मिलकर मन विश्राम पाता है । आज अनीता निहलानी जी जिनके ब्लॉग से ही यह शीर्षक लिया है , ग्वालियर भ्रमण पर हैं और मेरा सौभाग्य के उनके साथ तीन चार घंटे बिताने का अवसर मिला है । मैं सौभाग्य जैसा शब्द केवल उनके लिये ही लिखती हूँ जिनके विचार ,व्यवहार और कृतित्त्व उजाला पाती हूँ क्योंकि यह शब्द मेरे लिये महज औपचारिक नहीं है । ब्लॉग के माध्यम से मेरा अनीता जी से परिचय पुराना है । वे ब्लॉग पर मेरी हर रचना को अनिवार्यतः पढ़ती ही हैं यदि कहूँ कि मेरे ब्लॉग उनके कारण भी ऊर्जा पा रहे हैं तो असत्य कथन न होगा ।

आज उनसे मिलना किसी आत्मीया से मिलना था । उनके आध्यात्मिक विचार पावन संयमित जीवनशैली का ओज उनके चेहरे पर है । इसका श्रेय उनके पति श्री एम.सी. निहलानी जी को भी है । दोनों ही बड़े प्रसन्नचित्त , मिलनसार व स्नेह से परिपूर्ण हैं । दोनों ही बड़े सहज सरल हैं । भ्रमण-प्रिय हैं । शायद ही कोई प्रान्त देखने से छूटा हो यह तथ्य सचमुच बड़ा प्रेरक और अनुकरणीय है । दोनों से ही मिलना बड़ा आनन्दमय रहा ।

अनीता जी के चार ब्लॉग हैं। लेखन उन्ही की तरह आध्यात्म से आप्लावित और उत्कृष्ट है ।   

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