तुझ पर सारे सुख न्यौछावर
सुनले मेरे वीर ।
खेतों की हरियाली तू है ,
तू नदिया का नीर ।
तेरे बिन बादल रीते हैं
गीत बिना मधुराई
आँगन में रौनक तुझसे है
जीवित है अमराई
टूटे--बिखरे रिश्तों को
बाँधे तेरी जंजीर ,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर....।।
माँ उदास है
नत निराश है
तेरी राह तके
रिश्तों की मंजिल तय करते
उसके पाँव थके ।
भैया आकर गले लगाले
हरले उसकी पीर,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर... ।।
हम दोनों है मेरे भाई
एक टहनी के फूल
हमसे ही आबाद रहें
अन्तर सरिता के कूल
तुझसे ही तो रंग भरी है
जीवन की तस्वीर ,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर
सुनले मेरे वीर ,
खेतों की हरियाली तू है
तू नदिया का नीर ।।
सुनले मेरे वीर ।
खेतों की हरियाली तू है ,
तू नदिया का नीर ।
तेरे बिन बादल रीते हैं
गीत बिना मधुराई
आँगन में रौनक तुझसे है
जीवित है अमराई
टूटे--बिखरे रिश्तों को
बाँधे तेरी जंजीर ,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर....।।
माँ उदास है
नत निराश है
तेरी राह तके
रिश्तों की मंजिल तय करते
उसके पाँव थके ।
भैया आकर गले लगाले
हरले उसकी पीर,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर... ।।
हम दोनों है मेरे भाई
एक टहनी के फूल
हमसे ही आबाद रहें
अन्तर सरिता के कूल
तुझसे ही तो रंग भरी है
जीवन की तस्वीर ,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर
सुनले मेरे वीर ,
खेतों की हरियाली तू है
तू नदिया का नीर ।।
टूटे--बिखरे रिश्तों को
जवाब देंहटाएंबाँधे तेरी जंजीर ,
नदिया के नीर से वीर के गले लग जाती है कविता...
वाह! कितने पावन स्वर में गाती है कविता...
कितनी खूबसूरत सी कविता है ये!!!! :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंमाँ उदास है
नत निराश है
तेरी राह तके
रिश्तों की मंजिल तय करते
उसके पाँव थके ।
भैया आकर गले लगाले
हरले उसकी पीर,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर... ।।
...भाउक कर देने वाला बंद!
वाह रे बहना! अपने सब सुख न्यौछावर कर दिये और मांगा भी तो माँ की पीर हरने की प्रार्थना की!!!.. तू धन्य है।
जवाब देंहटाएंतुझ पर सारे सुख न्यौछावर
जवाब देंहटाएंसुनले मेरे वीर ,
खेतों की हरियाली तू है
तू नदिया का नीर ।।
भाई-बहन के इस प्रीत भरे पर्व पर बहुत सुंदर कविता....
दीदी!! इस कविता की हर पंक्ति में खुद को तलाश करता रहा हूँ और सचमुच अंतर्मन भीग जाना किसको कहते हैं वो आज (फिर से) जाना है!! अब तो सचमुच आपसे मिलकर आपके चरण स्पर्श करने को जी चाहता है!!
जवाब देंहटाएंचरण स्पर्श!!
मुझे आज फिर यह अनमोल उपहार मिला है ।
हटाएंभाई बहन के निश्छल प्रेम को अनुपम शब्दों में बाँधा है ... अंतस को नम करती ... भावभीनी रचना ... रक्षाबंधन की बधाई ओर शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंआप सबके हृदय में मौजूद भाई को मेरा नमन । अभिनन्दन ।
जवाब देंहटाएंतुझसे ही तो रंग भरी है
जवाब देंहटाएंजीवन की तस्वीर ,
तुझ पर सारे सुख न्यौछावर
सुनले मेरे वीर ,
रक्षा बंधन की बधाई ओर शुभकामनायें ...
RECENT POST : सुलझाया नही जाता.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ........मैंने शेयर की है ये कविता लिखी भले ही आपने हो , है तो हर एक बहन के मन की. बहुत बधाई गिरिजा जी
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन के पावन पर्व पर सुंदर प्रस्तुति । जिये हम सब के वीर ।
जवाब देंहटाएंबहनों के मन की बात , माँ के सुखी होने में ही उनकी ख़ुशी , वर्ना भाई लाख पैसे हीरे जवाहरात ला दे , उससे क्या !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
रक्षा-बन्धन के गहरे भाव को अनुभूतियों के सुन्दर आधार प्रदान करती कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनोहर! जी जुड़ा गयी यह कविता।
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना...
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