वर्मा जी ,साहब ने कहा है कि आप दसवीं कक्षा में चले जाएं । पीरियड खाली है ।
क्यों , यह पीरियड तो गिरीश का है । और वह आज विद्यालय में मौजूद भी है ।
गिरीश सर साहब के साथ डी.ई ओ ऑफिस जारहे हैं ।
ऑफिस जारहे हैं या कोने वाले रेस्टोरेन्ट में चाय पीने ...।--वर्मा जी ने चपरासी से व्यंग भरे लहजे में पूछा तो वह निरुत्तर होगया ।
ठीक है । तू जा अपना काम कर । वर्मा जी ने चपरासी से कहा तो वह चला गया ।
मुझे आश्चर्य हुआ । वर्मा जी कक्षा में जाने की बजाय कोई पत्रिका पलटते रहे ।
कभी किसी काम को ना न कहने वाले वर्मा जी में यह परिवर्तन ..। वे तो सदा दूसरे लोगों को समझाते रहे हैं कि हमें काम का ही वेतन मिलता है इसलिये कभी काम से इन्कार मत करो ।काम के प्रति ईमानदार रहोगे तो इसका लाभ जरूर मिलेगा ।
उन्ही वर्मा जी में यह कैसा बदलाव ।
तो क्या करूँ राघव ।----वर्माजी मेरी नजरों का सवाल पढते हुए कुछ हताशा भरे स्वर में बोले ---अगर बिना आपत्ति किये काम करते जाओ तो लोग गधा ही समझ लेते हैं और काम लादे जाते हैं तुम देखते ही हो कि मेरे सबसे ज्यादा पीरियड हैं । कई प्रभार भी हैं फिर भी अरेंजमेंट में भी मेरा नाम ही आगे रहता है । मैं इसका कभी विरोध भी नही करता । पर दुख तब होता है जब गिरीश जैसे लोगों को, जो दिन भर गप्पें हाँकते रहते है ,साहब हर तरह की छूट देते हैं क्योंकि गिरीश .....सब जानते है कि साहब उसे क्यों साथ लगाए रहते हैं । उससे भी ज्यादा दुख तब होता है जब प्रोत्साहन की जगह साहब और रस्सी कस देते हैं तथा गिडगिडाने के बाद भी मेरी छुट्टी स्वीकृत नही करते ।तुम तो जानते हो कि मैं कभी फालतू छुट्टी नही लेता । अभी मेरी बेटी की तबियत खराब होगई थी और मुझे अचानक उसके पास जाना पडा था । मैं छुट्टी के लिये आवेदन देगया था पर साहब ने मेरा वेतन काट लिया बोले कि तुमने छुट्टी पहले से स्वीकृत नही कराईँ । क्या यहाँ कानून सबके लिये बराबर है । अगर साहब की नजर में ईमानदारी और कर्मनिष्ठा का कोई मूल्य नही, गधे-घोडे सब बराबर हैं तो मैं क्यों इतना पागल बनूँ । जो होगा देखा जाएगा । वेतन तो मुझे भी उतना ही मिलता है .जितना.....। क्या मैं गलत कह रहा हूँ राघव...।
मैं क्या कहता । वर्मा जी की निराशा से मैं निराश होगया पर उनकी बात को झुठलाने के लिये मेरे पास कोई तर्क नही था ।
यही सच है आज का | सटीक कहानी |
जवाब देंहटाएंinteresting blog....
जवाब देंहटाएंकहानी में नयापन है
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए साधुवाद,
ढ़ेर सारी बधाईयाँ...
बहुत सुन्दर गिरिजा जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
जवाब देंहटाएंकृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के
लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
यही सच है आज का | सटीक कहानी |
जवाब देंहटाएंvery good naya anubhav kahani padhkar. sundar post ke liye dhanyawad or aage ke liye subhakamanayen.
जवाब देंहटाएंदेरी से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं. सशक्त और सटीक चित्रण. सुंदर प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.
जीवन के रंगों से लबरेज एक सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएं---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
गिरिजा जी!आपकी नवीनतम पोस्ट बंधन नहींखुल रही है, इसलिये यहीं शिकायत दर्ज़ कर रहा हूँ... और यह लघुकथा तो लगभग हर सरकारी संस्थान की पहचान बन चुकी है! आए दिन अपने यहाँ भी दो चार होते रहते हैं हम..सच्ची एवम् अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसार्थकता से विसंगतियों को कथा में चित्रित किया है आपने....
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली कथा...