सोमवार, 1 जून 2015

मिलिये मिसेज शर्मा से

मिसेज शर्मा के पडौस में आने का समाचार मेरे लिए वैसा ही था 
जैसा अखबार के कूपन पर इनाम निकलने का होता है .
मिसेज शर्मा यानी इलादेवी मुझे अचानक ही तब मिलीं थी जब मैं सडक की भीड़ में अकेली चलती हुई इस शहर की भाषा की और भाषा से अधिक सोच की अजनबियत से थोड़ी मायूस थी .
वैसे अब यहाँ भाषा की कोई समस्या नहीं है .यह हिन्दी की सरलता या सरसता कहें या लोगों में सीखने की ललक ( जरुरत भी कह सकते हैं ) कि हिन्दी बड़ी आसानी से अपनी जगह बना लेती है .मैंने देखा है कि टूटी-फूटी ही सही यहाँ कई स्थानीय लोग भी हिन्दी बोलते हैं ,बोलना सीख रहे हैं जबकि लगभग आठ सालों में विचार होने के बाद भी हम लोगों ने कन्नड़ नहीं सीखी है .ऑफिस और मित्रों में प्रशान्त आदि अंग्रेजी से काम चला लेते हैं और मैं अभी छुट्टियों में ही यहाँ आती हूँ. फिर भी अगर यहाँ स्थायी रहने का विचार हुआ , तब कन्नड़ तो सीखनी ही पड़ेगी क्योंकि उसके बिना यहाँ की ‘जमीन’ से नहीं जुड़ा जा सकता और बिना जमीन से जुड़े लेखन कैसे हो सकता है ! खैर...
मैं बता रही थी कि भाषा के अपरिचय से अधिक समस्या यहाँ व्यावहारिक व भावनात्मक अपरिचय की है हमारे ही शहर के लोग यहाँ आकर अजनबी से हो गए हैं .ऐसे में मिसेज शर्मा का मिलना किसी सुखद घटना से कम नहीं लगा .
उस दिन एक सब्जी की दुकान पर मैंने उन्हें सब्जीवाली से ठेठ हिंदी में बहस करते देखा था .गेहुँआ रंग ,स्थूल शरीर ,किनारी वाली लाल साड़ी , उम्र पचपन से ऊपर ही होगी जो शारीरिक तौर पर ही लगती थी .आवाज का जोश और आँखों की चमक किसी युवती से कम नहीं थी . और बोलने का लहजा एकदम घरेलू . मुझे प्रसन्नता भरा विस्मय हुआ .पूछे बिना न रह सकी– आप कहाँ से हैं ?
एम पी से .” उन्होंने बिना देखे ही कहा और फिर देखकर इस तरह खिल उठीं मानो वे मेरा ही इन्तजार कर रहीं थीं ---अरे ,आप भी शायद....मैंने तो देखकर ही पहचान लिया कि ये जरुर अपनी तरफ की हैं . मैं चमत्कृत . लहजे में इतना अपनापन ?
इसके बाद तो परिचय का जैसे पिटारा खुल गया .चलते-चलते ही उन्होंने बड़े अपनेपन के साथ अपना इतिहास भूगोल बता दिया कि वे इंदौर व उज्जैन से ताल्लुक रखतीं हैं . तीन-तीन विषयों में स्नात्तकोत्तर हैं .समाजशास्त्र ,अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र . दस-पन्द्रह साल अध्यापन भी किया है .पति ‘डीआरडीओ’ में थे अब रिटायर हो गए हैं .दो बच्चे हैं .बड़ी बेटी है जो पति के साथ मुंबई में है . बेटा छोटा है . उसकी अभी चार महीने पहले शादी हुई है . अभी वह यू एस गया है तीन माह के लिए तब तक के लिए वे बहू के साथ हैं वगैरा..वगैरा लेकिन सबसे अच्छी जानकारी यह हुई कि वे कलाकार हैं,. बुनाई ,कढाई ,पेंटिंग , डांस ,तबला ,हारमोनियम सितार ,गायन सबमें मास्टर ..वाह, ऐसे लोग भला कहाँ मिलते है. आसानी से.....
मैंने सोचा ,काश मिसेज शर्मा मेरे पड़ोस में ही होतीं .  
और देखिये ,मिसेज शर्मा आखिर हमारे पडोस में आ ही गईं .वह भी बगल वाले फ़्लैट में .
देखो तुम्हारा स्नेह खींच ही लाया . वे उसी दिन बड़े उत्साह से बोलीं .
मैं बहुत खुश हूँ कि अब आप बगल में ही आगईं हैं .वास्तव में मैं यही चाह रही थी . मुझे उस दिन विश्वास हो गया कि सच्चे दिल से चाही गई बात जरूर पूरी होती है .
यह कोई पूर्वजन्म का फल है . सच्ची कहती हूँ कि मेरा लगाव इस तरह कभी किसी से नहीं हुआ .एक थे श्रीवास्तव भाईसाहब ..लखनऊ में हमारे मात्र दो साल पडौसी रहे पर जो रिश्ता बना आज तक है . दीदी फोन पर आज भी रोतीं हैं कि इला छोड़ क्यों गई हमें ?
यह भी संयोग है .जब मन और विचार मिल जाते हैं तब ...मैं कुछ कहना चाहती थी पर वे बीच में ही बोल पड़ीं  –जब जब जिसको जिससे मिलना होता है ,मिलता है और यकीन करो कि सचमुच मिलता है ...अब तुम्हें क्या बताऊँ बहन  ! मेरे पिताजी बहुत बड़े ज्योतिषी थे .जो बताते थे सही होता था .उन्होंने संदीप( उनका बेटा ) के जन्म से पहले ही बता दिया था कि इस बच्चे का पिता से छत्तीस का आंकड़ा रहेगा .सो है .एक दूसरे को चाहते हुए भी विचार बिलकुल अलग होंगे और वही हुआ .ऐसे ही उन्होंने मेरी बुआ के देवर के बारे में कह दिया था कि जेठ की पहली अष्टमी इसके लिए भारी है . होसकता है कि....ओ फ़्फो..ठीक अष्टमी के दिन ही ..इत..नाsss...सुन्दर लड़का ..मुंबई से दो बार बुलावा आया था ..माडलिंग के लिए ..फूफाजी ने साफ़ मना कर दिया नहीं तो सोचो कि आज उसकी क्या लाइफ होती .
मिसिज शर्मा होनी को कौन टाल सकता है .
टल जाती है ! ईश्वर से बड़ा कुछ भी नहीं .जहर को अमृत करदे .अंगारों को बर्फ बनादे ....ईश्वर वो भजन नहीं सुना ?...जहर का प्याला राणा जी ने भेजा .मीरा ने बहुत सुन्दर-सुन्दर पद लिखे हैं ..कितना दर्द हैं उनके पदों में !
हाँ यह तो है...उनके पदों को भीमसेन जोशी,लता मंगेशकर जैसे बड़े गायकों ने बड़े .....”--मैंने कहा पर कुछ और कहने से पहले  वे बोल पड़ीं--
भीमसेन जोशी तो उज्जैन कई बार आए .  भैया के यहाँ ही रुकते थे ."
आप मिली हैं उनसे ."
"मिली हैं !"–वे मेरी अल्पबुद्धि पर चकित हुई –'अरे घंटों तक सामने बैठकर उनको सुना है ..व्यास भैया के घर में ..'  
आपको संगीत में काफी रुचि जान पड़ती है .
 “अब तुम्हें क्या बताऊँ तुम कभी व्यास भैया से पूछना कि रुचि ही नही मेरा कितना दखल रहा है गायन और वादन दोनों में . दो दो बजे तक गीत-संगीत चलता था . बहुत सारे बड़े बड़े कार्यक्रमों में गा चुकी हूँ . मुझे खुद पिताजी साइकिल पर बिठाकर ले जाते थे और तबतक बैठे रहते थे जबतक मेरी प्रस्तुति नहीं हो जाती समय का पता भी नहीं चलता था .लोग आसन जमाए बैठे रहते थे . सुनते रहते थे .कम से कम दस बार तो चाय के साथ ड्रायफ्रूटस के लड्डू हो जाते थे . खटाई खाना तो मना था.. ..मेरे पिताजी ने बहुत त्याग किया ..उन्ही की बदौलत मैंने सब सीखा .गाना और तबला ,सितार ,हारमोनियम ,..
वाह..—मेरे मुंह से निकल पड़ा .मुझे विश्वास होगया कि वे संगीत के क्षेत्र में अच्छा खासा दखल रखतीं हैंखैरागढ़ ,भातखंडे ,बिलावल ,खमाज ,काफी ,जौनपुरी ,भीमपलासी आदि राग , रागों के गायन का समय ..तीन सप्तक और जाने कितनी बातें उनके प्रगाढ़ संगीत-ज्ञान का परिचय दे रहा था . अब तो मिसेज शर्मा का गायन सुनना जरूरी होगया भले ही इस क्षेत्र में मेरी जानकारी कुछ खास नहीं हैं लेकिन अच्छा गीत-संगीत सुनना किसे अच्छा नही लगता .
मिसेज शर्मा आप हमें भी कुछ सुनाइये ना ..
अरे अभी ,वे किसी स्थापित गायक के विश्वास से बोलीं ---

सुनना कभी ..अभी तो देखती हूँ क्या क्या फैला पड़ा है . यहाँ आकर भूल ही गई .मैं भी कहाँ –कहाँ की बातें ले बैठी . सच कहूँ मैं इतनी बातें किसी से करती नहीं हूँ .तुमसे जाने किस जन्म का ...नहीं सच्ची कुछ तो है ..अच्छा फिर आती हूँ अभी ..
( जारी.....)

9 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, देश का सच्चा नागरिक ... शराबी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. जीवन की साझा विरासत, सबकी मिलती जुलती सी कहानी।

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  3. सुंदर अति सुंदर...वास्तविकता !

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  4. अच्छा लगा पढ़कर।

    http://chlachitra.blogspot.com
    http://cricketluverr.blogpost.com

    पर भी पधारें।

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  5. हा...हा..हा..ज्यादा दिन नहीं चलेगी यह मित्रता..कितनी बातूनी हैं आपकी यह मिसेज शर्मा..

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  6. जीवन में अक्सर कुछ लोग ऐसे ही जुड़ जाते हैं ... बातों के धनी या शौकीन कुछ भी कहिये पर मज़ा आता है इनके साथ समय बिताना ...

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  7. जाने कौन कैसे मिलाता है.
    रोचक शुरुआत. आगे देखें क्या होता है.

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  8. bada achhaa lagta hai aise milna logon se. bahut achhaa laga is mulakat ke baare mein padhna ! :)

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