शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

अन्धा विश्वास

आँखों पर पट्टी बाँध लेना

यानी सच को अनदेखा करना

नहीं है केवल बाहरी दृश्यों को

अनदेखा करना

बल्कि अक्षम होजाना है

ज्ञान-चक्षुओं का भी ।

मुँह मोड़ लेना भी है यथार्थ से,

बचकर निकलजाना है ।

जड़ है बहुत से अनर्थों , विवादों की

कलह -क्लेश और अपवादों की ।

 

सच से मुँह मोड़ना 'कछुआ-धर्म' है

पलायन है ।

कुरुक्षेत्र में इसका मर्म है ।

आँखों पर पट्टी बाँधकर

गांधारी ने मुँह मोड़ लिया था

अन्याय और दुराचार से ।

महल में होरहे षड़यंत्रों

और अत्याचार से

झोंक दिया था पूरे कुटुम्ब को

एक भीषण संग्राम में ।

 

आँखों पर पट्टी बाँधना  

मुँह मोड़ना है समय से

समय की गंभीरता

और जीवन में अपनी भूमिका से ।

अपने दायित्त्व से मुँह मोड़ना भयानक है सभी का

किन्तु स्त्री का सबसे अधिक ।

वह धुरी है परिवार की ,समाज की ,

जब जब जहाँ भी आँखों पर पट्टी बाँधी है स्त्री ने

ठोकर खाई है

न केवल स्त्री ने बल्कि

पूरे परिवार समाज परिवेश

और जीवन मूल्यों ने भी ।