सुख
--------------
(1)
सुख--
एक नकचढा मेहमान,
और मैं.....
झुग्गी-झोपडी वासी
अकिंचन मेजबान
उसे कहाँ बिठाऊँ !
कैसे सम्हालूँ !!
(2)
सुख--
चौराहे पर ,
कभी-कभी मिलजाने वाला
कोई परिचित्
तुरन्त एक यंत्र-चालित सी स्मित्
"क्या हाल हैं ?"
"ठीक हैं "
और फिर नितान्त अपरिचित्
(3)
सुख --
जैसे बीच सडक पर,
गैर-जिम्मेदार भाग्य द्वारा
चलते-खाते
लापरवाही से फेंका गया
छिलका ।
फिसलता है ,गिरता है
मन....बार-बार ,
होता है शर्मसार
------------------
कुछ क्षणिकाएं
----------------
(1)
पलटती रहती है
अतीत के पन्ने
बूढी हुई जिन्दगी ।
(2)
तुम हो आसपास
तो जीवित हैं
हर अहसास ।
(3)
स्नेह की ओट में
छुपालो
यूँ नफरत से बचालो ।
(4)
सुख
अगर सुख नही
तो दुख
बेशक दुख नही ।
(5)
प्रतीक्षा की धूप में
पत्ते पकने लगे
पल एक-एक कर
झरने लगे ।
(6)
गलत को नही कहा
तुमने गलत
तो फिर बेशक
तुम गलत ।
(7)
तुम हो चाहे
दुख का कारण
या दुख के कारण ।
हर समस्या का
तुम्ही हो निवारण ।
(8)
न कोई क्लाइमेक्स
न कलरफुल साइट
जिन्दगी का चित्र
केवल ब्लैक एण्ड व्हाइट ।
(9)
स्नेह का व्यापार
बेकार मन को
बढिया रोजगार
सुंदर और सार्थक कविताएं।
जवाब देंहटाएं------
आपका स्वागत है..
.....जूते की पुकार।
कहने को तो क्षणिकायें थीं पर युगों का सार लिये थीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक कविताएं
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी,
जवाब देंहटाएंयह दो पोस्ट की सामग्री एक ही पोस्ट में भर दी आपने... सुखों के जितने रूप आपने दिखाए, सब आँख मिचौनी खेलते नज़र आये... अच्छी लगे.. मगर ऐसा हरदम तो नहीं होता कि वो बचकर निकल जाए.. कभी पकड़ में आ जाए, नन्हें मुन्नों को गोद में खिलते हुए, बच्चों को बड़ा होते देखते.. वे सारे सुख हमने देखे हैं आपकी पोस्ट पर, इसलिए पता है कि सुख सिर्फ पीछा नहीं छुदाता.. कभी सर्दियों में साथ बैठकर सबके साथ चाय पीता है..
क्षणिकाएं मोहक हैं!!!
बेमिसाल हैं सभी क्षणिकाएं ... कुछ शब्दों में गहरी बात लिखना आसान नहीं होता पर आपने बाखूबी इसको अंजाम दिया है ...
जवाब देंहटाएंगिरजा जी,..आपने थोड़े से शब्दों में सब कह दिया,सुंदर क्षणिकाये,..
जवाब देंहटाएंलाजबाब पोस्ट,....बधाई,स्वीकारें,....
मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
एक छोटा सा Co-incidence लग रहा है :)
जवाब देंहटाएंबहुत दिन पहले एक छोटी कविता मैंने भी लिखी थी..शीर्षक 'सुख' ही था, कुछ हद तक यही सब बात थी...
बेहतरीन हैं सभी क्षणिकाएं....लाजवाब!!!!
सार्थक क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंhttp://meenakshiswami.blogspot.com/2011/12/blog-post_22.html
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद । इसलिये और भी कि मैं प्रायः प्रत्युत्तर देने में पीछे रहती हूँ आप मेरी रचनाओं को पढ रहे हैं यह मेरी उपलब्धि है ।सलिल जी आपका कहना सही है । पन्द्रह साल पहले की यह कविता आज सचमुच अधूरी लग रही है । अब वो साथ बैठ कर चाय पी भी रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंइत्ते सारे में किस एक को चुनकर सर्वश्रेष्ठ कहूँ, भारी कन्फ्यूजन है...
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिखे हैं आपने ...
संक्षिप्त शब्दों में समाहित विराट भाव चित्र ...
बहुत बहुत मोहक ...
सुख को अनावृत्त करती सजग कविताएं।
जवाब देंहटाएंशेष क्षणिकाएं जिंदगी के विभिन्न दृश्यों की आकृतियां उकेर रही हैं।
wah.....kitni sunder motiyon ki ladi piroyee hai aapne........
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया क्षणिकाएं...
जवाब देंहटाएंसभी बेहतरीन..
सादर.