सुना है कि तुम हो सर्वव्यापक
फिर भी तुम्हारे होने का विश्वास ,
बहुत जरूरी है ।
मेरे होने के लिये ।
चाहे सुदूर पथ में ,
पथरीले बीहडों से
अकेले ही गुजरना हो या
दंगा-पीडित शहर के चौराहों पर
जलती आग में ,
बेनाम ही झुलसना हो ..
बहुत जरूरी है ,
तुम्हारे सम्बल का अहसास,
अपंग हुई सी उम्मीदों को
ढोने के लिये ।
यूँ तो क्षितिज पर
सूरज की लाली है ।
फूलों में खुशबू है ।
वन में हरियाली है
पर बहुत जरूरी है ,
तुम्हारी निकटता का उल्लास
इन सबमें खोने के लिये...।
सूनी टहनी पर ,
गौरैया उदास है ।
पीले पत्तों सी ,
अब झरने लगी,
हर आस है ।
प्रतीक्षित है एक मधुमास,
नव- पल्लव संजोने के लिये ।
आस की आस,
जवाब देंहटाएंजगत, विपरीत प्रयास,
प्रतीक्षित मधुमास
पर बहुत जरूरी है ,
जवाब देंहटाएंतुम्हारी निकटता का उल्लास
इन सबमें खोने के लिये...।
सचमुच उसकी निकटता का अहसास ही हमें सारे सुखों-दुखों के बीच भी स्थिर रखता है...
गिरिजा जी,
जवाब देंहटाएंउसके होने का एहसास ही नहीं हमें.. ज़र्रे-ज़र्रे में उसी का नूर है.. और हमारे लिए उसके होने की अनुभूति भी नहीं है.. सागर कि मछली की तरह.. जब तक रेत पर गिराकर तडपती नहीं उसे पता ही नहीं होता कि वो सागर में है..
बहुत ही गहरे भाव और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाती उतनी की भाव-प्रवण अभिव्यक्ति!!
बहुत जरूरी है ।
जवाब देंहटाएंमेरे होने के लिये ।
चाहे सुदूर पथ में ,
पथरीले बीहडों से
अकेले ही गुजरना हो या
दंगा-पीडित शहर के चौराहों पर
जलती आग में ,
बेनाम ही झुलसना हो ..
बहुत जरूरी है ,
तुम्हारे सम्बल का अहसास,
दिल की बात कह दी आपने
पर बहुत जरूरी है ,
जवाब देंहटाएंतुम्हारी निकटता का उल्लास
इन सबमें खोने के लिये...।
वाह! बहुत सुन्दर!
इस एहसास की आस ही ऊर्जा-संचालन करती है...सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंविश्वास और आस पर ही तो टिका है ये जीवन...
जवाब देंहटाएंपतझड़ को बसंत की आस जो होती है..
बहुत सुन्दर.
सादर.
प्रतीक्षित है एक मधुमास...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपके ब्लौग पर आकर.
आपने जो सुझाव दिए थे (...मेरे हर क्षण के सार रहे!) उनके लिए आभारी हूँ!, यूँही स्नेह बनाये रखियेगा! धन्यवाद!
तुम्हारे होने का विश्वास ,
जवाब देंहटाएंबहुत जरूरी है ।
मेरे होने के लिये ।
यही अपरिहार्य है..........उत्कृष्ट सृजन...........
पर बहुत जरूरी है ,
जवाब देंहटाएंतुम्हारी निकटता का उल्लास
इन सबमें खोने के लिये...।
waah.. bahut sundar panktiyaan.. :)
palchhin-aditya.blogspot.in
भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षित है एक मधुमास,
जवाब देंहटाएंनव- पल्लव संजोने के लिये ।
भावनात्मकता का सुंदर प्रवाह है इस खूबसूरत कविता में. बधाई.
अंधकार के बाद प्रकाश को आना ही पड़ता है।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता।
सुना है तुम हो सर्व व्यापक,
जवाब देंहटाएंफिर भी तुम्हारे होने का विश्वास बहुत जरूरी है
मेरे होने के लिये....
बेहतनीय एवं सराहनीय रचना.....
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)