30 जनवरी की एक कविता
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इसका उत्तर उतना ही जाना पहचाना है
जितना कि हमारे देश को मिली आजा़दी का दिन ।
छह दशक बीत चुके कबके
सब जानते हैं कि
गोडसे ने गोली मार कर
मौत दे दी थी बापू को ।
लेकिन बहुत से यह भी मानते होंगे कि
बापू की वह मौत
एक अधूरी मौत थी ।
मार नही सकता कोई
इतनी आसानी से
बापू या उन जैसे महामानवों को
बापू या उन जैसे महामानवों को
नष्ट करके केवल उनका शरीर
बल्कि सच तो यह है कि बलिदान
उन्हें बना देता है अधिक अविस्मरणीय अविनश्वर..।
तब लोगों ने कहा था --
"बापू अमर हैं ।
क्योंकि वे केवल एक व्यक्ति नही
पूरा जीवन दर्शन हैं ।
विचार और चिन्तन हैं ।
वे रहेंगे हमारे बीच हमेशा "
बापू होगए और भी मुखरित ।
देश की माटी के कण-कण में
समागई जैसे उन्ही की छबि सस्मित ।
और सचमुच तब लगा था कि ,
गोडसे ने गोली मार कर
मारा है उन्हें सिर्फ शरीर से ।
शरीर जिसे मिटना ही होता है अन्ततः
लेकिन आज हैरान होता गोडसे भी
कि शेष रहे बापू को दे दी गई है अब
एक पूरी मौत ।
लोग करते हैं उनके नाम पर राजनीति
तलाशते हैं उनके प्रेम-पत्र
उठाते हैं चरित्र पर उँगली ।
उनकी दृढता व निष्ठा पर अविश्वास
करते हैं तर्क--बहस
कि गान्धी ऐसा नही करते तो वैसा नही होता
गान्धी वैसा करते तो ऐसा हो सकता था ।
गले नही उतरते उनके सिद्धान्त
उडाते हैं मखौल
कहते हैं उन्हें 'टकला' 'बुड्ढा'
देते हैं मजबूरी का नाम...
देश के विभाजन का जिम्मेदार ।
अवशेषों के रूप में बची हैं धूल से ढँकी
उनकी तस्वीरें ,प्रतिमाएं
पौंछी जातीं हैं दो अक्टूबर को
चढाए जाते हैं फूल
सिर्फ रस्म निभाने ।
लगाने लेबल
गान्धीवादी होने का केवल
गान्धीवादी होने का केवल
लेकिन किसी का गान्धीवादी होना भी आज
होगया है सिर्फ स्वार्थपूर्ण आडम्बर ।
क्योंकि गान्धीवाद
सुख-सुविधाओं की दौड में,
एक मार्ग काँटों कंकडों वाला
गले न उतर सकने वाला निवाला
क्योंकि गान्धीवाद
सुख-सुविधाओं की दौड में,
एक मार्ग काँटों कंकडों वाला
गले न उतर सकने वाला निवाला
एक अविश्वसनीय सा बुढिया--पुराण
आज गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में
सर्वथा अप्रासंगिक ।
बापू को तो मरना ही था,
शरीर से ही नही विचारों से भी
बापू को तो मरना ही था,
शरीर से ही नही विचारों से भी
एक पूरी मौत ।
पूरी मौत नही मरते
तो करते अनशन मन ही मन
हर अनाचार पर ,
ईमानरहित विचार पर
नही होपाते बेशुमार घोटाले बेझिझक ।
पूरी मौत नही मरते
तो करते अनशन मन ही मन
हर अनाचार पर ,
ईमानरहित विचार पर
नही होपाते बेशुमार घोटाले बेझिझक ।
कुछ ग्लानि तो जरूर होती
गला काटने में ।
देश को बाँटने में
कठिनाई होती थूककर चाटने में।
निस्संकोच अन्याय करने में ।
सिर्फ अपनी जेबें भरने में
गला काटने में ।
देश को बाँटने में
कठिनाई होती थूककर चाटने में।
निस्संकोच अन्याय करने में ।
सिर्फ अपनी जेबें भरने में
छीन कर जरूरतमन्दों से ।
काले धन्धों से होजाता चैन हराम
मार दिया गया है अब बापू को
एक पूरी मौत ।
याद किये जाएंगे वे
केवल दो अक्टूबर
और तीस जनवरी को
मुस्कराएंगे सिर्फ तस्वीरों और प्रतिमाओं में
क्योंकि तस्वीरें बोलतीं नही
प्रतिमाएं टोकतीं नही
काले धन्धों से होजाता चैन हराम
मार दिया गया है अब बापू को
एक पूरी मौत ।
याद किये जाएंगे वे
केवल दो अक्टूबर
और तीस जनवरी को
मुस्कराएंगे सिर्फ तस्वीरों और प्रतिमाओं में
क्योंकि तस्वीरें बोलतीं नही
प्रतिमाएं टोकतीं नही
बापू अब कभी जीवित नही होंगे
यदि होंगे भी तो मार दिया जाएगा
उन्हें फिर से ।
यदि होंगे भी तो मार दिया जाएगा
उन्हें फिर से ।
बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रही है आपकी रचना ।सच के पक्ष को और भी मजबूत करती अच्छी रचना के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंआदर्श अधर में लटके हैं...
जवाब देंहटाएंbahut sarthak aur gambhir kawita....saab kewal gandhi ji ko bech raha he....naman..
जवाब देंहटाएंबापू के जीवन को देखने का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है यह कविता!! वास्तव में गांधी किसी व्यक्ति का नाम नहीं था, वह तो एक विचार था.. और विचार तीन गोलियों से नहीं मरते!! बहुत ही अच्छी कविता!!
जवाब देंहटाएंगाँधी -
जवाब देंहटाएंनाम नही है
एक व्यक्ति का ,
है पूरी की पूरी
विचार धारा
जिसने दिया
सत्य - अहिंसा का नारा ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति .. बापू जैसे लोगों को रोज ही मार दिया जाता है .. विचारणीय रचना
मार्मिक ... दरअसल नाटो राम ने तो सिर्फ गांधी को जिस्मानी मौत डी थी ... आज उनको मानने वाले रोज ही उनको मर रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 02-02 -20 12 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज...गम भुलाने के बहाने कुछ न कुछ पीते हैं सब .
वाह..बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंसोच में डालने वाली रचना...
आपका ब्लॉग फोलो करने की कोशिश कर रही हूँ..मगर हो नहीं रहा...फिर आती हूँ दोबारा :-)
सादर.
प्रभावशाली रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना.
जवाब देंहटाएंसार्थकता भरी विचारणीय प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआपकी अभिव्यक्ति में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी को तथाकथत नेताओं ने पूरी मौत दे दी !
आपकी अभिव्यक्ति में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी को तथाकथित नेताओं ने पूरी मौत दे दी !
आपकी अभिव्यक्ति में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी को तथाकथित नेताओं ने पूरी मौत दे दी !
आपकी अभिव्यक्ति में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी को तथाकथित नेताओं ने पूरी मौत दे दी !
आपकी अभिव्यक्ति में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी को तथाकथित नेताओं ने पूरी मौत दे दी !
विचारोत्तेजक प्रस्तुति और सच्चाई को स्वीकारने की ताकत भी. बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंsach likha hai Girija ji apne bapu aj hote to to ve roj marte.....sari vichardharon ka aj ke neta katl kr chuke hain.
जवाब देंहटाएंbehad prbhavshli rachana ke liye abhar
बहुत ही सशक्त रचना है । कहीं गहरे मैं सोचने को मज़बूर करती है, गांधीजी की आज के दौर मैं ही ज्यादा जरूरत है, और यह बात हम लोग अब महसूस भी करते हैं । एक बार फिर से बधाई, आप की कविता के माध्यम से गांधीजी की बात हुयी
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