(1)
आग..आग..आग..
हर कोई चिल्लाया
घबराया दहलाया
मौसम विभाग
उठा है लो जाग
भेज दीं हैं दमकलें
छोड रहीं बौछारें
रिमझिम फुहारें ।
(2)
आसमान के धरती को
स्नेहमय पत्र
बाँट रहा पौस्टमैन
यत्र-तत्र-सर्वत्र ।
(3)
वर्षा की पहली फुहार
फाके और इन्तजार
तब रमुआ को मिली
जैसे पहली पगार ।
(4)
पौधा ,जो कल तक था
रूठा सा मुरझाया
कैसा है खिल रहा
बूँदों ने कानों में
क्या कुछ कहा ।
(5)
कभी-कभी दिख रहे
डायरी में लिख रहे
ये कैसी कहानी
प्यासों की भीड है
दो चुल्लू पानी ।
(6)
लगते हैं ऐसे ये छींटे
बौछार के
बोले किसी ने हैं
दो बोल प्यार के ।
(7)
पहली बारिश की बूँदें
पत्तों पर पडीँ ऐसे
हथेली पर प्रसाद की रेवडियाँ
रखती है अम्मा जैसे ।
वाह... अब लगा कि सावन आ गया.
जवाब देंहटाएंआसमां का धरती को पत्र...
जवाब देंहटाएंअम्मा का दिया प्रसाद....
बहुत सुन्दर गिरिजा जी....
सभी एक से बढ़ कर एक सुन्दर....
सादर
अनु
कल 15/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुंदर क्षणिकायेँ....
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत ही सुन्दर क्षणिकायें..
जवाब देंहटाएंदिल्ली में सावन आया और उस पर आप की ये क्षणिकाएं मन को भिगो गईं। पोस्टमैन वाला खास पसंद आया। बारिश की आम कविताओं से अलग इनमें एक नवीनता है।
जवाब देंहटाएंबारिश की बूँदें गिरी, पहली पड़ी फुहार,
जवाब देंहटाएंपेड़ों को जीवन मिला,आया नया निखार,,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
बहुत ही सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
:-)
सभी क्षणिकाएं अच्छी लगी। मेरे पोस्ट पर आपका अभिनंदन है।
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi.....
जवाब देंहटाएंदीदी!!
जवाब देंहटाएंचुप करा दिया आपने मुझे भी.. बारिश के इतने आयाम!! बस चरण छूने की अनुमति दीजिए!!
बहोत ही गजब हैं सारी...मन में घूम।रहीं😇😇☺☺
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