मातृभूमि के पहरेदारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
शौर्य और साहस के तारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
पर्वत--घाटी तुमको क्या हैं !
क्या है रेगिस्तान !
धँसे हुए दलदल में पर
नजरों में हिदुस्तान ।
कदम कदम पर रोड़ों का
निर्मम हो करें दमन ।
मातृभूमि के पहरेदारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
जहाँ हवा भी जम जाती है
तुम भरते हुंकार ।
नज़र जमाए दुश्मन पर
हर आहट पर टंकार ।
सर्दी-गर्मी आँधी क्या हैं !
तुम कर्त्तव्य मगन ।
मातृभूमि के पहरेदारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
तुम ही पहले भगतसिंह ,
अशफाक ,बोस, आजाद ।
भारत माँ की आन बान
तुमने रक्खी आबाद ।
खुली हवा में साँस लेरहा
इसीलिये जन जन ।
मातृभूमि के पहरेदारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
हम सब ऋणी तुम्हारे
सबल सहारे, वीर अजेय
भाव तुम्हारा सा सबका हो
बस इतना हो ध्येय ।
पंथ तुम्हारे पुष्प बना मन
करता अभिनन्दन ।
मातृभूमि के पहरेदारो !
मेरा तुम्हें नमन ।
स्वतन्त्रता दिवस की आप सबको हार्दिक बधाई ।
आज हमारे इस पावन राष्ट्रीय पर्व पर इस कविता के साथ बहुत दिनों से जो गतिरोध आपके ब्लॉग पर बना हुआ था वह भंग हुआ!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस पर वीरों को नमन!!
उतारें नयन आरती ये तुम्हारी .
जवाब देंहटाएंतुम्हीं ,जो ,वतन के लिये डट गये थे ,
सभी मोहमाया यहीं रख गये थे.
पुकारा जभी मातृ-भू ने तुम्हें ,
ख़ुद महाकाल बन जूझने चल दिये थे,
तुम्हरी कुशलता मनाऊँ हरइक पल ,
गगन भर सितारे निछावर तुम्हारी !
- प्रतिभा.
*
क्या बात है माँ! देश के सपूतों के लिये एक माँ की इससे बेहतर अभिव्यक्ति और सन्देश कुछ हो ही नहीं सकते! सच कहूँ तो यह पंक्तियाँ स्वयम भारत माता के स्वर प्रतीत हो रहे हैं!!
हटाएंआपकी इन पंक्तियों पर तो मैँ निछावर हूँ । आभार..।
जवाब देंहटाएंहम सब ऋणी तुम्हारे
सबल सहारे, वीर अजेय
भाव तुम्हारा सा सबका हो
बस इतना हो ध्येय ।
बहुत सुंदर भाव...जय हिन्द जय जवान !