शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

सपने

सपने नींद में आते हैं .

और जगाकर सोई हुई स्मृतियों को

चले जाते हैं निर्ममता के साथ  

जैसे लौट जाते है बादल उमड़ घुमड़कर

बिना बरसे ही .

सुगबुगा उठती हैं भूली हुई बातें

मुरझाई घास की तरह .

 

सपने आते हैं

जैसे आती हैं,  सागर की छाती को

खरोंचती हुई सी उत्ताल तरंगें .

भिगो जातीं हैं सारा पुलिन.

छोड़ जाती है अपनी निशानियाँ

कुछ चमकते शंख ,सीपियाँ ,

उछलती तड़फती मछलियाँ ,

लहरों की निस्संगता पर

छोड़कर चली गई हैं जो  

अपनी मौज में .

 

सपने आते हैं जैसे

उकेरती हैं उँगलियाँ गीली माटी में

रूहानी सी लकीरें .

गीला मन माटी सा  .

सपने उस पर लिख देते हैं .

एक और गीत

उम्मीद का , इन्तज़ार का .

 

साधारण से लगते सपने

कभी कभी होते हैं असाधारण भी

समेट लाते है विगत को 

दोहराते है किसी मोड़ पर 

छूट गई कहानी फिर से

मिलाते हैं उन्हें भी

नामुमकिन हैं करीब आना जिनका .


कुछ सपने जता जाते है कि कभी 

जीवन्त थीं अनगिन अनुभूतियाँ ,

व्यक्त होने की उम्मीद में .

समाया रहता था आँखों में

एक पूरा आसमान.

उमंगें उड़ती थीं हवा में

आक के रेशों की तरह ..

सपने कहते हैं कि 

पुलिन पर छोड़ गयी हैं लहरें जो मछलियाँ

अभी जिन्दा है , प्रतीक्षा में  

लहरों के लौटने की . 

सपने क्यों आते हैं

यह पूछने की बजाय आश्वस्त हूँ

कि सपने अभी आते हैं .


18 टिप्‍पणियां:

  1. जी गिरिजा जी , सपनों पर एक अनूठा विवेचन।सच में सपने आना, भीतर एक गहन संवेदनशीलता का परिचायक है।अगली- पिछ्ली स्मृतियों को जगाते और सहेज्ते सपने व्यक्ति की संपूर्णता के प्रतीक हैं।एक भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई।🙏

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(३०-१०-२०२२ ) को 'ममता की फूटती कोंपलें'(चर्चा अंक-४५९६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. जी गिरिजा जी।सपनों पर एक गहन और विस्तृत विवेचन, जो दर्शाता है कि सपने किसी व्यक्ति के अवचेतन मन में छिपी स्मृतियों को जगाते भी हैं और लौटा कर उनसे मिलाते भी हैं।सपने व्यक्ति की संवेदनशीलता का आईना हैं।उनका होना उसके4व्यक्तित्व की जीवंतता का प्रतीक है।एक भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई 🙏

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    1. रेणु जी, आप रचना को सूक्ष्मता से पढ़ती ही नहीं हैं, विस्तृत विचार भी व्यक्त करती हैं. बहुत आभार

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  4. 'यह पूछने की बजाय आश्वस्त हूँ

    कि सपने अभी आते हैं .'

    - सपने हमारी जीवन्तता का लक्षण हैं .

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  5. 'यह पूछने की बजाय आश्वस्त हूँ

    कि सपने अभी आते हैं '.

    सपने हमारी जीवन्तता का प्रमाण हैं.

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  6. सपनों की जीवंतता का व उनके महत्व का चित्रण करती सुंदर रचना।सपने हैं तो जीवन गतिमान है।

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  7. आपकी लिखी रचना सोमवार 31 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  8. सपने आते हैं

    जैसे आती हैं, सागर की छाती को

    खरोंचती हुई सी उत्ताल तरंगें .

    भिगो जातीं हैं सारा पुलिन.

    छोड़ जाती है अपनी निशानियाँ

    कुछ चमकते शंख ,सीपियाँ ,

    उछलती तड़फती मछलियाँ ,

    लहरों की निस्संगता पर

    छोड़कर चली गई हैं जो

    अपनी मौज में .

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    उत्तर
    1. आभार ऊषा जी . कविता के विषय में तो कुछ नहीं लिखा . अच्छा बुरा जो भी लगता .. मुझे कुछ दिशा भी मिलती .

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  9. सपने तो बचपन से अंत तक आँखों में बसे रहते हैं, चाहे सोते हों या जागते में। बहचत गहराई से उकेरा है।

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  10. गिरिजा दी सपना शब्द सुनकर ही सपनों में खो जानो को दिल करता है। सपना अच्छा है बुरा है पूरा हुआ है या अधूरा है पर उसका वजूद सदैव पूरा ही रहता है सपने हमें आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति देते हैं कुछ सोचने के लिए मनन करने के लिए हमें जागृत करते हैं एक सुंदर कविता के लिए आभार❤️❤️

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  11. सपनों के मनोविज्ञान को समझती, समझाती पँक्तियां। शायद सपने भूली हुई यादें भी हैं, पुराने जन्मों की स्मृतियाँ भी और अवचेतन में बसी इच्छाएं भी, लेकिन इससे भी ज्यादा सपने भविष्य में झाँकने की खिड़की भी है और परमात्मा से मिलने का एक पड़ाव भी... सुंदर सृजन !

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  12. सपने ही तो हमें जीवित होने का एहसास दिलाते हैं। बहुत ही बढ़िया रचना

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  13. सपनों की जादुई गलियों में घूमना अच्छा लगा।

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