गुरुवार, 4 जनवरी 2024

परदा

 आवरण या परदा अच्छा नहीं होता

पड़ा हो अगर आँखों पर .

या किसी भी तथ्य पर .

 

परदा नही होता अच्छा बेशक

जब दीवार बनता है 

दृष्टि और दृश्य के बीच

असत्य और सत्य के बीच

बहुत अखरता है आवरण 

जब मधुर वाणी और सभ्य आचरण में

छुपे रहते हैं

हृदय में जमे कुविचार

देते हैं धोखा .

तुलसी देखि सुवेष

भूलहि मूढ़ न चतुर नर.

कहा है महाकवि ने भी तो .

 

लेकिन परदा होता है अच्छा भी ,

अगर छुपाता है किसी के घर की

झरती दीवारें ,उखड़ा हुआ फर्श

अर्श टूटा या चटका हुआ .

 

परदा अच्छा है

अगर काम आता हो छुपाने के 

किसी अपने की बेवशी और कमजोरी .

गुन प्रकटहि अवगुनहि दुरावा

कहा है महाकवि तुलसी ने भी

सच्चे मित्र के लिये .

 

परदा अच्छा ही है

पड़ा हुआ ऐसे अतीत पर

जिसका सामने आना

नहीं हो कतई जरूरी .

कई बार जरूरी हो जाता है

परदा डालना सच पर .

सबके हित .

देह भी एक सच है

पर कितना जरूरी है

उसका होना आवरण में .

 

परदा होता है जब

प्रतीक मर्यादा व लज्जा का ,

अच्छा होता है .

परदा चाहे साड़ी या चुन्नी का हो

या हो फिर परदा आँखों का .

न कि आंखों पर .

 

परदा आवश्यक भी है

अनावश्यक भी

बाधा भी है और सहायक भी   

यह निर्भर है 

उसके उपयोग और उद्देश्य पर .

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 06 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. अगर छुपाता है किसी के घर की

    झरती दीवारें ,उखड़ा हुआ फर्श

    अर्श टूटा या चटका हुआ .

    मर्मभेदी रचना।
    जरूरी विमर्श।

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  3. प्रणाम ग‍िर‍िजा जी, आपने द‍िल में उतरती बेहद संवेदनशील बात कह दी...कि‍... बहुत अखरता है आवरण
    जब मधुर वाणी और सभ्य आचरण में
    छुपे रहते हैं
    हृदय में जमे कुविचार

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  4. एक परदे के कितने आयाम ... आपकी लेखनी का कमाल ...

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  5. परदा आवश्यक भी है
    अनावश्यक भी
    बाधा भी है और सहायक भी
    यह निर्भर है
    उसके उपयोग और उद्देश्य पर .
    बहुत सटीक एवं सारगर्भित
    वाह!!!

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  6. परदा....यानि आवरण या आड़ जो सही जगह और सही समय पर लगे तो इज्जत बचा ले और झूठे फरेबी चेहरों और गलत कामों पर लगे तो समाज को बिगाड़ने का का काम करे ! कितना कमाल का है ये परदे का विषय भी ! सादर प्रणाम दीदी।

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  7. वाक़ई आवरण छुपा लेता है अनावश्यक को और कभी-कभी छल भी लेता है, निर्भर करता है उसके उपयोग पर, सार्थक लेखन !

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