शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

उसकी बात


 खाली पड़े गमले में

अनायास ही उग आए थे

घासपूस जैसे छोटे छोटे पौधे  

अनजाने , अनचाहे .

उखाड़ फेंकना था

हटानी थी खरपतवार

गेंदा ,डहेलिया जैसे फूलों के लिये..

तैयार करना था गमला

एक पौधे के पत्ते लहलहाए ,

मुझे मत निकालो अभी रहने दो .

जो बात है , उसे कहने दो .

मैंने उसे रहने दिया

मुझे सुननी थी उसकी बात .  

आज आँखें खिल उठीं  

देखकर कि वह पौधा मुस्करा रहा है

एक सुन्दर गुलाबी फूल की सूरत में .

जिजीविषा और आत्मविश्वास से भरपूर

मानो कह रहा है ,

मैं खरपतवार नहीं हूँ .

कोई नहीं होता खरपतवार

नितान्त निजी है वह विचार

मापदण्ड हैं उसकी

उपयोगिता ,अनुपयोगिता .

स्थान ,भाव-बोध और सौन्दर्यप्रियता के .

मुझे देखकर भी तो कोई खुश होसकता है

जैसे तुम खुश होते , होना चाहते थे

डहेलिया या गेंदा के फूल देखकर .

अहा ,मैं तो अब भी खुश ..., बहुत खुश हूँ

तुम्हें देखकर यकीनन .”

अनायास ही कह उठा मेरा मन .

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. कितना प्यारा फूल है, उसकी बात सुनकर आपने बहुत अच्छा किया

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  4. बहुत सुंदर रचना ह्रदय स्पर्शी,जब लिखने का मन होता है तब ये छोटी छोटी बातें ही रचना का हिस्सा बन जाती हैं ।आदरणीया शुभकामनाएँ ।

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    1. धन्यवाद मधूलिका जी। अक्सर होता यह है कि हम छोटी छोटी चीजों को नज़रअंदाज़ करते रहते हैं । आपकी टिप्पणी एक दिशा देती है।

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  5. जी हाँ मेम सभी जीना चाहते हैं , मुस्कुराने चाहते है और कोई भी अनुपयोगी नहीं इस जहाँ में . सुन्दर रचना . बहुत बधाइयाँ .

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  6. कोई नहीं होता खरपतवार
    नितान्त निजी है वह विचार
    मापदण्ड हैं उसकी
    उपयोगिता ,अनुपयोगिता .
    स्थान ,भाव-बोध और सौन्दर्यप्रियता के .
    सही कहा सभी विशेष हैं...
    ये तो बस हमारी मानसिकता और आवश्यकता पर निर्भर रहता है कि किसे सर आँखों बिठा दें या फिर खरपतवार समझ फैंक दें।

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