14 नवम्बर 2024
आज बाल-दिवस है । दुनियाभर के सभी बच्चों के लिये कामना कि उनका बालपन
बना रहे । समय से पहले बड़े न हों । बड़े तो उन्हें आखिर होना ही है पहले बचपन को
तो पूरी तरह जी लें ।
मेरे लिये बाल दिवस के साथ मान्या-दिवस भी है ।
उसका जन्म जैसे कल की बात है ।
14 नवम्बर 2006 सेंट फिलोमिना हॉस्पिटल .. किसी के आने की आहट सुनने के
लिये साँसें जमी हुई सी थीं । एक उमंग और आतुरता से पाँव धरती पर टिक ही नहीं पा
रहे थे । एक ओर सुलक्षणा की पीड़ा की कष्टकर अनुभूति थी ,दूसरी ओर प्रतीक्षा की
आकुलता । पल पल भारी हो रहा था । तभी एक साँवली सलौनी नव वयस्का परिचारिका प्रकट
हुई और मुस्कराते हुए बड़ी मिठास के साथ कहा –--"कॉँग्रेचुलेशन्स ,यू
हैव अ हैल्दी बेबी गर्ल ।“
सुनकर रोम रोम झंकृत होगया । पहली बार नए रिश्ते बने चाचा चाची पापा
मम्मी दादा और मेरे लिये सबसे प्यारी पदवी मिली--दादी । यों तो माँ बनना सबसे
प्यारा अनुभव होता है लेकिन जब मैं माँ बनी थी तब (18 भी पूरे नहीं हुए थे ) माँ
होने की उतनी समझ और अनुभूति नहीं थी लेकिन दादी बनने के लिये मैं पूरी तरह तैयार
थी ।एक नवागन्तुक की प्रतीक्षा थी, उल्लास था । जब मान्या आई तो जीवन में एक कमी
पूरी होगई बेटी की ।
बहुत सालों बाद फिर से नन्ही जान को गोद में लेने , उसमें आए हर परिवर्तन
को देखने का आनन्द अनौखा था । मान्या को लेकर मैंने अनेक कविताएं लिखी हैं । एक
कविता यहाँ है ,जब वह पहली बार स्कूल गई थी --
स्कूल का पहल दिन
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मान्या स्कूल चली
गुंजा सी
खिली--खिली ।
सजधज दरवाजे
पर
ज्यों भोर खड़ी उजली।
बस ढाई साल की है यह
नटखट कमाल की है यह
चंचल है मनमौजी है
अपने खयाल की है यह ।
बस्ता में भर कर सपने
मन में ले जिज्ञासाएं ।
चलती है उँगली पकडे
कल खुद खोजेगी राहें ।
जो पाठ आज सीखेगी
कल हमको सिखलाएगी
खुद अपना गीत रचेगी
अपनी लय में गाएगी ।
मान्या आज अठारह वर्ष की होगई है । अपना गीत खुद रचने और गाने की उम्र , अपना आसमान खोजने की उम्र । अब वह अपना गीत खुद लिख रही है , गा रही है , हमें सिखा रही है । उसने अपना आसमान खोज लिया है . अब वह इंजीनियरिंग कॉलेज में बी ई की प्रथम वर्ष की छात्रा है ।
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