सोनू के लिये
15 अक्टूबर 1974----12 अगस्त २०१०---
सोनू ,मेरी जेठानी जी का मँझला बेटा ,जो एक माह पहले सबको छोड कर, अन्तहीन पीडा देकर हमेशा के लिये चला गया ।
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सुबह ने अभी-अभी ही तो ,
तेरे नाम लिखी थी ---
आसमां भर धूप...।
जागती आँखों में सजाए थे ,
पंखुडियों से ख्बाब. ।
फिर क्यों चुन लिया तूने,
धूप में नहाया ...
अपना शहर छोड कर ।
एक अनजान गुफा का
अन्तहीन अँधेरा ।
भूल गया ---अपने बूढे पिता की ,
धुँधलाई आँखों की बेवशी ।
तूने एक बार ,सोचा भी नहीं ,
कि,उनके थके--झुके कन्धे ,
कैसे ढोएंगे उम्मीदों का मलबा ।
कैसे पढेंगे , अनन्त- पेजों वाला
तेरे बिछोह का अखबार ,
उनका चश्मा तो खोगया ,
तेरी यादों के ढेर में ही ...।
वक्त गुजरेगा कैसे ...
ताकते सिर्फ , सूना आसमान ...।
काश तू आकर देख लेता कि,
माटी की पुरानी दीवार सी ,
भरभरा कर गिर पडी है तेरी माँ ।
बैठी रहती थी थाली परसे ,
देर रात ...तेरे आने तक ।
तूने देखा नहीं कि ,
तुझे रोकने के लिये ,
दूर तक ....तुझसे ,
लिपटा चला गया है
उसकी आँतों का जाल ।
पेट से निकल कर
कलेजा थामे पडी है वह
लहूलुहान ।
पीडा के गहरे सागर में ,
हाथ पाँव मारती तेरी संगिनी ,
हैरान है ......।
भला इतनी जल्दी
कोई कैसे भूल सकता है ,
प्रथम-मिलन के समय किये गए,
तमाम वादों को
चाँद को छूने के इरादों को
तूने तो कहा था कि ,
तैरना आता है तुझे अच्छी तरह ।
भला, .... जिन्दगी से ,
कोई रूठता है इस तरह ...।
और नाराज होता है इस तरह...
कोई अपनों से ,
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गिरिजा जी… जिसने दिया उसने ले लिया … पीड़ा का कोई पारावर नहीं..जिसपर बीतती है वही जानता है.. ईश्वर समस्त परिवार को सम्बल प्रदान करे और आत्मा को शांति!!
जवाब देंहटाएंsmrution ko axro me dhal kh kisi chitra ki tarah kavita me sahej liya apne. yahi shabd chitra uske prati aapka pyar bhi hai aur shraddhanjali bhi.hum aapke sath hai.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया , सलिल जी , कुन्दा जी ।
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