मान्या और विहान
नन्हे राजा
नयना बाँके-बाँके
कोटर में से
कोयल के शिशु झाँके
नदी नहायी धूप
चाँदनी फाँके
कितने सारे फूल
भोर ने ,
हर टहनी पर टाँके
लुढक गई है गेंद
रात की काली वाली।
जाने दो,
झुनझुना बजाती
डाली-डाली
मेरी गोदी चाँद सलौना
नही चाहिये और खिलौना
साथ इसी के खेलूँगी मैं,
सौ सौ नखरे झेलूँगी मैं
मेरा राजा भैया है
मेरी जेब रुपैया है ।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी!
जवाब देंहटाएंकोइ रूठ गया था चंद खिलौना लेने को और कोइ चाँद सा भैया पाकर खुश है.. बहुत ही प्यारी सी कविता!!
सुंदर रचना...मनोहारी चित्र
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
वाह ! क्या बात है !
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
बहुत प्यारी कविता है
जवाब देंहटाएंगुड़िया की छोटी गुड़िया।
जवाब देंहटाएंबालक मन से लिखी गई रचना। बेहद गुदगुदाने वाली बालसुलभ भावनात्मक कविता।
जवाब देंहटाएं