शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

आने वाली पुत्रवधू के लिये .

यह कविता मैंने  सन् 2003 में अपने बड़े बेटा प्रशान्त के विवाह से पहले लिखी थी . आज उसके विवाह की वर्षगाँठ पर यह अचानक मिल गई . बिना किसी संशोधन के प्रस्तुत है . 

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ओ अनदेखी , अनजानी 

मेरे घर की भावी महारानी .

तू आना मेरी दुनिया में

जैसे आती है हवा किसी नदी में नहाकर 

फूलों को सहलाकर. 

जैसे आती है लाली पूरब के क्षितिज पर 

सूरज से पहले .

करती है ऐलान रात बीत जाने का .  

जैसे आता है परिणाम 

आशान्वित, वर्षों के परिश्रम के बाद .

प्रतीक्षा में है .

घर का हर कोना ,

मेरा बेटा , मेरा सोना 

सलोना सपना मेरा भी ,

कि देखूँगी अपने आँगन में ,

मन में दमकती जगमग रोशनी .

तू ले आना अपने साथ

माँ की यादों को .

लेकिन उन्हें घोल देना मेरी साँसों में

मान लेना मुझे भी अपनी माँ .

उससे भी ज्यादा अपनी मीत .

बेटी नहीं है मेरी कोई ,

तुझमें ही देखूँ अपनी बेटी भी .

कर सकूँ खूब सारी मन की बातें .

माँ की तरह ,

तू सुनना उन्हें बेटी की ही तरह .

बता देना मेरी अनजाने में हुई कोई भूल भी

अपनत्त्व के साथ .

सुन लेना तू भी उतने ही विश्वास से 

स्वीकार होंगी तेरी माँगें ,जिद ,चाहत .

छोड़ आई हूँ बहुत पीछे 

वह युग ,जो मैंने देखा था 

नववधू के रूप में .

अब स्वामिनी होगी तू .

इस घर की , बेटे की ..

और मेरी भी ...कम न होगा मेरा स्नेह .

मत रखना मन में कभी सन्देह 

कोई दुराग्रह .

मत लाना साथ में कोई तीखी धार

बनादे जो दरार ,आँगन में .

तू खुशी है ,मेरे बेटे की 

और बेटा मेरी ..

इसलिये खुशी है तू मेरी भी .

पलकें बिछाए हूँ तेरी राह में . 

सपने जो बसे हैं तेरी पलकों में .

आशंकित न होना कभी .

सजाएंगे उन्हें और भी खूबसूरत 

मिलजुलकर .

बचाए रखना 

भाव और विचारों को बोझिल होने से 

सपनों को फीका होने से

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार 5 दिसंबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  2. किसी नई नवेली बालिका का स्वागत जब एक स्त्री इस तरह से करती है तो सच में घर का मौसम खुशगवार हो जाता होगा। ❤️

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  3. जब किसी नई नवेली बालिका का स्वागत कोई स्त्री इस प्रकार करती है तो सच में घर का वातावरण खुशगवार हो जाता होगा अनेक बधाई आपको और बहुरानी को ❤️💐

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  4. आदरणीया दीदी,
    इस कविता से खुद को पूरी तरह जोड़ पा रही हूँ क्योंकि मुझे भी बेटी की कमी महसूस होती है। इकलौते बेटे के विवाह का बेसब्री से इंतजार है। अपनी पुत्रवधू के लिए इन खुले विचारों और प्रेममयी भावनाओं से कीमती और कोई उपहार नहीं हो सकता।

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  5. आने वाली पुत्रवधू के लिए हृदय की कोमल भावनाओं को आपने बहुत ही सुंदर शब्दों और भावों में पिरोया है, उसे घर की स्वामिनी का दर्जा देकर सारे जीवन के लिए अपना बना लिया।

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  6. नववधू की तरह से सास के मन में भी स्वप्न,अरमान और आशंकाएँ होती है उनको बहुत सुन्दर रूप में अभिव्यक्त किया है आपने ।अति सुन्दर सृजन ।

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  7. सुंदर एहसास, सुखद दृष्टि देती, प्रेरक रचना।

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  8. पुत्रवधू के स्वागत में लिखे कितने भावुक कर देने वाले भाव …बहुत सुन्दर कविता है !

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  9. बहुत ही सुंदर भाव, शब्द-शब्द हृदय को छूता।
    आपको ख़ूब बधाइयाँ।

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  10. सास बहू के रिश्ते को आत्मीयता प्रदान करती सुंदर कविता । नववधू के लिए लिखी गई गई ये कविता रूपी भाव काश कि हर सासू मां के मन के भाव बन जायं और इस रिश्ते से जुड़ी सारी जड़ता खत्म हो जाय । आपके सुंदर भाव को नमन दीदी ।

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  11. नव वधू के स्वागत में रचित सुंदर और संग्रहणीय कविता । ऐसी रचनाएँ मानवीय मूल्यों को संवर्धित करती हैं, बधाई आदरणीय दीदी ।

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  12. वाह!!!
    नववधू का ऐसा सत्कार वह भी स्वयं सासूमाँ से...
    सच में अब जमाने को बदलने से कोई नहीं रोक सकता।

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  13. मेरी टिप्पणी नहीं दिख रही ।शायद स्पैम में हो।

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  14. रचना को स्थान व मान देने के लिये सबका आभार . सुधी पाठक ही तय करते हैं रचना की सार्थकता .

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  15. आत्मीय अहसासों का सुंदर सृजन

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