गुरुवार, 9 जनवरी 2025

आओ चलें रेत पर

आओ चलें कुछ देर,

नंगे पाँव ,

सूखी रेत पर ।

सूखी ,भुरभुरी ,कंकरीली रेत

बिछी है दूर तक किसी अनासक्त योगी सी 

अविचल , निस्पृह ,निरापद  

रौंदो ,घरोंदे बनाओ ,मिटाओ

बरसें बादल ,

उकसाए , हवा ,

बेअसर रेत ,नहीं बहती या उड़ती ,

धूल की तरह

धूल , जो ज़रा बुहारने पर ही 

विचलित होजाती है 

छोड़ देती है  अपनी जगह 

थामकर हवा का हाथ ।

अस्तित्त्वहीन है किसी का भी 'धूल होना' 

या 'मिलना धूल' में ।

तभी तो ,

नगण्यता का पर्याय है 'पैरों की धूल' ।

जबकि रेत आधार है निर्माण का ।

मजबूती लिये चट्टानों की ।

चट्टानें जो समय और 

मौसमों के क्रूर थपेड़ों से से भंगुर हुईं ,

पीसी गईं तेज प्रवाह में,

फिर भी रही अमिट ,अव्यय ,

रूपाकार हुईं अविभाज्य 

और अविचल रेत में ।

रेत का विचलित होना 

संकेत होता है तूफान का ।

तूफान किसी शान्त धीरोदात्त नायक के क्रोध सा

मिटाने अन्याय और दुराचार ।

अनावश्यक विस्तार लेती मनोवृत्ति का 

मनोवृत्ति आसमान नापते  उत्तुंग वृक्षों की 

जो रोकते हैं धूप ,हवा छोटे-छोटे पेड़-पौधों की ।

नहीं पनपने देती उन्हें 

अपनी जगह ,अपनी तरह से ।

 

बचपन में जब रहते थे हम 

अक्सर नंगे पाँव ,

चिन्ता नहीं थी काँटों ,कंकड़ों की ।

मुश्किल नहीं था ज़रा भी

पाँव में धँसे काँटे को निकाल फेंकना 

और खेलने लग जाना फिर से ।

आओ चले उसी तरह 

नंगे पाँव सूखी कंकरीली रेत पर 

महसूस करें रेत का रेतीला भुरभुरापन 

चुभन , सुविधा से दबे ढँके कोमल तलवों में ।

पढ़ें रेत पर लिखी इबारतें

कि नहीं मिलता किसी को

राह में बिछा हुआ मखमली गलीचा 

हमेशा..

मिलते हैं काँटे ,कंकड़ , चुभन भी , 

और अवरोध गति में भी ।

कि ज़रूरी है नंगे पाँव रहना ,

'ज़मीन' पर ,क्योंकि,

'पाँव ज़मीन पर' हों न हों ,

ज़रूरी है 'पाँवों के नीचे ज़मीन' होना ।



8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह क्या बात है ...रेत.. क्या शानदार अभिव्यक्ति है।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. रेत के बारे में इतना तो कभी सोचा ही नहीं, वाक़ई रेत और धूल का स्वभाव भिन्न है एक-दूसरे से, रेगिस्तानों में उड़ते हैं रेत के बगूले, जब तूफ़ान आते हैं।

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    उत्तर
    1. जी बहुत आभार अनीता जी । आप रचनाओं को पढ़कर और अपनी राय देकर रचना को महत्वपूर्ण बना देती हैं ।

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