बाली --1 से आगे
कल कल निनाद के बीच ‘रिवर सोंग’
बाली एयरपोर्ट पर ही बाली की द्वीपीय अनूठी कला और संस्कृति का अनुमान हो जाता है । भवन शिल्प , चित्रकला , भाषा सब कुछ अलग अनूठा ।
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एयरपोर्ट पर एक चित्र |
बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखे शब्द पढ़ने की कोशिश की तो कुछ समझ नहीं आया -- Kecamatan
KutaTuban। असल में इन शब्दों की लिपि तो रोमन है
लेकिन भाषा इण्डोनेशियन या बालिनी है । अंग्रेजी का चलन बहुत कम है ,लगभग न के
बराबर । केवल पर्यटन से जुड़े लोगों और सामान विक्रेताओं ने अंग्रेजी के कामचलाऊ
शब्द सीख लिये हैं ।
बाली इण्डोनेशिया का एक बड़ा द्वीपीय
प्रान्त है । इण्डोनेशिया शायद दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपीय देश है ,जो लगभग
सोलह-सत्रह हजार द्वीपों का समूह है इनमें बाली एकमात्र हिन्दू बहुल (लगभग 87
प्रतिशत) प्रान्त है । भारतीय व्यापारियों और विद्वानों के आगमन से जावा सुमात्रा
बाली आदि अनेक प्रान्तों में हिन्दूधर्म की स्थापना हुई। प्राचीन और मध्यकाल में
यहाँ हिन्दू साम्राज्य का विकास चरम पर था । पहले बाली जावा के महान् माजापहित
हिन्दू-बौद्ध साम्राज्य का हिस्सा था पर वहाँ मुस्लिम सुल्तानों के उदय के बाद
उसका पतन होता गया और अधिकतर हिन्दू बाली आगए । बाली द्वीप नाम राजा केसरीवर्मा द्वारा
सन् 914 ई. में दिया गया जिसका उल्लेख शिलालेखों में मिलता है।
एयरपोर्ट पर ही बढ़िया कॉफी पीने के बाद
मयंक ने ड्राइवर को फोन किया । कुछ ही देर में एक हट्टा कट्टा सुन्दर नौजवान
मुस्कराता हुआ आया । उसकी आँखें छोटी थी जो हँसने पर लगभग बन्द होजाती थीं। पर
बड़ा विनम्र और मृदुभाषी । रास्तेभर टूटी फूटी अंग्रेजी में वह कुछ आवश्यक बातें मयंक को
बताता रहा और मैं बाली की सड़कों भवनों और पेड़ों को निहारती रही । सड़क के दोनों
तरफ बाँस के सुन्दर कलात्मक 'पेनजोर' (वन्दनवार) जैसे हमारे स्वागत में ही झुके हुए थे । ड्राइवर ने बताया कि ये एक खास फेस्टिवल गलुंगन पर लगाए जाते हैं ।
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पेनजोर |
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घटोत्कच |
अन्ततः एक साधारण सी सूनी जगह (रास्ते में मिले
साफ सुन्दर स्थानों की तुलना में) हमारी गाड़ी रुकी । यह उबुद टाउन था।
“हम इस जगह रुकने वाले हैं !” -मुझे कुछ पुराने से कमरे और आसपास की अव्यवस्थित
जगह देख हैरानी हुई तभी एक दुबली पतली सी युवती एक लड़के के साथ आई और हमारे सूटकेस
उठा लिये । ड्राइवर ने नियत समय पर शिवम् और सौरभ को लाने की कहकर विदा ली तो मयंक ने उसका नाम पूछा।
“द्वैपायन .”—ड्राइवर ने मुस्कराकर कहा तो मुझे सुखद आश्चर्य हुआ । यह तो व्यास जी का
नाम था । बाली में रामायण के साथ महाभारत के प्रभाव का यह एक और उदाहरण था ।
हम लोग युवती के पीछे-पीछे घनी झाड़ियों के कुंज बीच नम सीढ़ियों से उतरते यही सोच रहे थे कि आखिर कहाँ ,किस पाताललोक में ठहरने वाले हैं हम । सीढ़ियाँ और ढलान जहाँ खत्म हुई वहाँ एक लकड़ी की लिफ्ट हमें और नीचे ले जाने तैयार थी । रास्ते भर का उत्साह अब हवा निकले गुब्बारे सा हो रहा था । लिफ्ट ढलान पर बिछे लोहे के मजबूत सरियों के सहारे ऊपर से नीचे जाती आती थी । उसमें केवल चार लोग बैठ सकते थे ।
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लिफ्ट |
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हम चार |
शिवम् और सौरभ रात दस बजे आए। फिर क्या , ‘कबके बिछड़े हुए हम आज कहाँ जाके मिले..’ –के भाव में सब पुलकित और उल्लास से भरे थे तब भला किसी को सोने की फिक्र होती ! सौरभ की बेटियाँ प्रियांशी रियांशी, और शिवम् की
बेटी अमायरा अदम्य से मिलकर खूब चहक रही थीं । बेटा हृधान की अपनी अलग मस्ती ।सबने खूब धमाल मचाया। शिवम्-नेहा ,सौरभ-प्रीति ( कई अन्य मित्र भी) के साथ सिडनी में बड़ा आत्मीयता भरा
समय व्यतीत हुआ था । ऐसे रिश्ते कभी फीके नहीं पड़ते ।
सौरभ व शिवम् की मम्मी और हम दो ( मैं और श्वेता की माँ) यों लगभग हमवयस्का चार महिलाओं का भी एक समूह बन गया । उस रात भी मुझे नींद नहीं आई । अगले दिन सबने केवल आराम किया ।
जारी ....बाली --1
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रास्ते में देखते हुए |
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कृष्ण अर्जुन |
सुंदर
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार
हटाएंवाह! अगला भाग तो पहले से भी रोचक है, किसी रहस्य कहानी सा, जहाँ हर भेद किसी सुखद आश्चर्य से भर जाता है, आप चारों की महफ़िल खूब जमी होगी।चित्रों में सुंदर वास्तुकला और साज-सज्जा देखकर भी आनंद आया
जवाब देंहटाएंजी अनीता जी ,आगे और भी सुन्दर स्थानों का उल्लेख होगा । आप पढ़ रहती हैं तो मन में स्वतः उल्लास भर जाता है । आप , सुशील जोशी जी और कुछ ब्लॉगर मंचों के कारण ब्लॉग लेखन जारी है । यह बड़ी बात है ।
जवाब देंहटाएंअति मनमोहक, सुंदर,रोचक वर्णन ,सुरूचिपूर्ण लेखन । आगे की कड़ियों की प्रतीक्षा है।
जवाब देंहटाएंसस्नेह
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद हरीश जी
हटाएंबहुत अच्छी रोचक प्रस्तुति,,,एक नया अनुभव होता है किसी भी जगह विशेष पर जाने पर,,,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कविता जी
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंWelcome to my new post....
बाली का बहुत सुन्दर वर्णन किआ है ... साक्षात देख रह हूँ साथ साथ आपके ...
जवाब देंहटाएंआपके आने से उत्साह बढ़ता है । हार्दिक अभिनन्दन
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