शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

बाली यात्रा---4

बाली यात्रा--3 से आगे

 'गरुड़, विष्णु कुन्चाना पार्क

और सेम्यीनाक बीच'

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चार दिन हरे भरे रिवर सोंग में नदी के मधुर गीत सुनने के बाद 11 अगस्त तक हम लोग समीनियक बीचके पास एक विला में रुके । यह बाली के दक्षिण पश्चिम में एक तटीय क्षेत्र है जो अपने सुदूर फैले मनोरम समुद्रतट , पैलेस ,बाजार तथा अन्य कई विशेषताओं के लिये जाना जाता है । विला रिवर सोंग जैसे मोहक वातावरण में तो नहीं था लेकिन काफी साफ सुन्दर और सुविधायुक्त था । दो भागों में तीन तीन कमरे थे । एक भाग में पत्नी बच्चों सहित मयंक शिवम् और सौरभ थे और दूसरे तीन कमरों में हम माताएं । यहाँ रहते हुए हमने बाली के कुछ और दर्शनीय स्थल देखे ।

गरुड़ विष्णु कुन्चाना पार्क

1-गरुड़ विष्णु कुंचाना पार्क ( kencana का उच्चारण कई जगह केनकाना और केंचना भी है इन्डोनेशियन भाषा में इसका अर्थ है सोना )     बाली की समृद्ध संस्कृति, कला और पौराणिक कथाओं का एक अद्भुत मिश्रण यह पार्क गरुड़ की शानदार प्रतिमा के लिये जाना जाता है जो 122 मीटर ऊँची है ।

गरुड़ पर आरूढ़ भगवान विष्णु

आकाश में उड़ान भरते हुए से गरुड़ और उसपर सवार भगवान् विष्णु को दोखकर एक पुलक और रोमांच का अनुभव होता है । यह समान आकार के 754 खण्डों (मॉड्यूल) से बनाई गई है जो अपने आप में विशेष है। दुनिया की ऊँची प्रतिमाओं में मान्य यह प्रतिमा बीस किमी दूर से भी दिखाई देती है । इसे देखे बिना बाली-दर्शन अधूरा है ।  

2-सरस्वती मन्दिर( pura taman kemuda sarswati) उबुद में स्थित सरस्वती मन्दिर जिसे वाटर पैलेस भी कहा जाता है । सुन्दर कमलों से भरे तालाब , फव्वारे और अत्यन्त आकर्षक और कलात्मक शिल्प वाला , कला की देवी सरस्वती को समर्पित यह मन्दिर इन्डोनेशिया का सबसे सुन्दर मन्दिर माना जाता है । 

सरस्वती मन्दिर का ही एक भाग
यहाँ भी अन्दर जाने से पहले टिकिट लेना और  एक सुनिश्चित परिधान पहनना होता है

सरस्वती मन्दिर
वहाँ पाँच पाण्डवों की बहुत ही सुन्दर प्रतिमाएं देखना एक आनन्दमय अनुभव था । उबुद पैलेस सरस्वती मन्दिर आदि स्थानों का कोई न कोई सम्बन्ध मार्कण्डेय ऋषि से रहा है यह कहीं पढ़ा है । इसीलिये बाली में पग पग पर आत्मीयता का अनुभव होता है ।3--उबुद पैलेसबाली की उत्कृष्ट वास्तुकला का शानदार उदाहरण है उबुद पैलेस । यह शाही परिवार का आधिकारिक निवास था । महल के पत्थरों की अद्भुत नक्काशी चकित करने वाली है । अगर पत्थर बोलते तो वैभव और संघर्ष की जाने कितनी रोचक कहानियाँ सुनाते । इतनी सुन्दर अनूठी नक्काशी के कलाकार को ('आई गुस्ती न्यूमन लेम्पाड' --1862 –1978) हदय से नमन है । 


उबुद पैलेस का मुख्य द्वार
यह पैलेस का आकर्षण ही था कि चिलचिलाती धूप में भी देखने की जिज्ञासा बनी हुई थी । वहाँ भी हमने कई फोटो लिये ।  

4-सेमिन्याक बीचबाली जाएं और बीच पर न जाएं ऐसा नहीं हो सकता । खासतौर पर जिन्हें लहरों की बाहों में झूलने का शौक हो । बीच पर जाने से पहले बाँस का बना एक बहुत ही सुन्दर दरवाजा और बाँस से ही बनी लम्बी गैलरी पार करनी होती है । वहाँ सामान देखा जाता है कि कोई प्लास्टिक का या अवांछनीय सामान तो नहीं है । समुद्र-तट को साफ सुथरा रखने के लिये यह बड़ी प्रेरक पहल है। बीच पर उतरने से पहले एक खुला क्लब , स्वीमिंग पूल और रेस्टोरेंट है जहाँ आराम कुर्सियों पर अर्धनग्न लेटे विदेशी पर्यटक , कनफोड़ शोर करते ड्रम के साथ पाश्चात्य संगीत और तली जा रही मछली की गन्ध आपका स्वागत करती है । मेरे जैसे लोगों के लिये एकमात्र यही अप्रिय अनुभव था लेकिन तट पर पहुँचते ही सारी क्लान्ति विलीन होगई । 

सागर की नीलिमा में सुनहरे सितारे टाँकती साँझ धीरे धीरे उतर रही थी । आसमान में चतुर्दशी का बड़ा सा चाँद भी झाँकने लगा तो लहरें जैसे उल्लास से भर गई । और तेजी से उमड़कर मानो वे चाँद को छूना चाहती हों । आसमान में रंगबिरंगी पतंगें लहरों की अधीरता पर मुस्कराती हुई लहरा रहीं थीं



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