बाली यात्रा--3 से आगे
'गरुड़, विष्णु कुन्चाना पार्क
और सेम्यीनाक बीच'
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चार दिन हरे भरे ‘रिवर सोंग’ में नदी के मधुर गीत सुनने के बाद 11
अगस्त तक हम लोग ‘समीनियक बीच’ के पास एक विला में रुके । यह बाली के
दक्षिण पश्चिम में एक तटीय क्षेत्र है जो अपने सुदूर फैले मनोरम समुद्रतट , पैलेस
,बाजार तथा अन्य कई विशेषताओं के लिये जाना जाता है । विला रिवर सोंग जैसे मोहक
वातावरण में तो नहीं था लेकिन काफी साफ सुन्दर और सुविधायुक्त था । दो भागों में
तीन तीन कमरे थे । एक भाग में पत्नी बच्चों सहित मयंक शिवम् और सौरभ थे और दूसरे
तीन कमरों में हम माताएं । यहाँ रहते हुए हमने बाली के कुछ और दर्शनीय स्थल देखे ।
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गरुड़ विष्णु कुन्चाना पार्क |
1-गरुड़ विष्णु कुंचाना पार्क— ( kencana का उच्चारण कई जगह केनकाना और केंचना भी है इन्डोनेशियन भाषा में इसका अर्थ है सोना ) बाली की समृद्ध संस्कृति, कला और पौराणिक कथाओं का एक अद्भुत मिश्रण यह पार्क गरुड़ की शानदार प्रतिमा के लिये जाना जाता है जो 122 मीटर ऊँची है ।
आकाश में उड़ान भरते हुए से गरुड़ और उसपर सवार भगवान् विष्णु को दोखकर एक पुलक और रोमांच का अनुभव होता है । यह समान आकार के 754 खण्डों (मॉड्यूल) से बनाई गई है जो अपने आप में विशेष है। दुनिया की ऊँची प्रतिमाओं में मान्य यह प्रतिमा बीस किमी दूर से भी दिखाई देती है । इसे देखे बिना बाली-दर्शन अधूरा है ।
2-सरस्वती मन्दिर( pura taman kemuda sarswati) —उबुद में स्थित सरस्वती मन्दिर जिसे वाटर पैलेस भी कहा जाता है । सुन्दर कमलों से भरे तालाब , फव्वारे और अत्यन्त आकर्षक और कलात्मक शिल्प वाला , कला की देवी सरस्वती को समर्पित यह मन्दिर इन्डोनेशिया का सबसे सुन्दर मन्दिर माना जाता है ।
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सरस्वती मन्दिर का ही एक भाग |
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सरस्वती मन्दिर |
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उबुद पैलेस का मुख्य द्वार |
4-सेमिन्याक बीच—बाली जाएं और बीच पर न जाएं ऐसा नहीं हो सकता । खासतौर पर जिन्हें लहरों की बाहों में झूलने का शौक हो । बीच पर जाने से पहले बाँस का बना एक बहुत ही सुन्दर दरवाजा और बाँस से ही बनी लम्बी गैलरी पार करनी होती है । वहाँ सामान देखा जाता है कि कोई प्लास्टिक का या अवांछनीय सामान तो नहीं है । समुद्र-तट को साफ सुथरा रखने के लिये यह बड़ी प्रेरक पहल है। बीच पर उतरने से पहले एक खुला क्लब , स्वीमिंग पूल और रेस्टोरेंट है जहाँ आराम कुर्सियों पर अर्धनग्न लेटे विदेशी पर्यटक , कनफोड़ शोर करते ड्रम के साथ पाश्चात्य संगीत और तली जा रही मछली की गन्ध आपका स्वागत करती है । मेरे जैसे लोगों के लिये एकमात्र यही अप्रिय अनुभव था लेकिन तट पर पहुँचते ही सारी क्लान्ति विलीन होगई ।
सागर की नीलिमा में सुनहरे सितारे टाँकती साँझ धीरे धीरे उतर रही थी । आसमान में चतुर्दशी का बड़ा सा चाँद भी झाँकने लगा तो लहरें जैसे उल्लास से भर गई । और तेजी से उमड़कर मानो वे चाँद को छूना चाहती हों । आसमान में रंगबिरंगी पतंगें लहरों की अधीरता पर मुस्कराती हुई लहरा रहीं थीं
सुन्दर यात्रा वृतांत | मानस यात्रा हो गई हमारी भी |
जवाब देंहटाएंनमस्कार । आपका बहुत आभार जोशी जी ।
जवाब देंहटाएंगरुड़ विष्णु और सरस्वती मंदिर जैसे नाम सुनकर तो लगता है, आप भारत के ही किसी भाग में भ्रमण कर रही हैं, कितना गौरवशाली अतीत है इस सनातन संस्कृति का, अति रोचक यात्रा वृत्तांत, अगले अंक की प्रतीक्षा है
जवाब देंहटाएंअत्यंत मनमोहक,रोचक,आगै के अंक की प्रतीक्षा है।
जवाब देंहटाएंसादर।
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नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३० सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर वर्णन
जवाब देंहटाएंवाह। बहुत सुंदर
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