बुधवार, 14 सितंबर 2022

हर दिन हिन्दी का है .

 एक दिवस ही क्यों अपना हर दिन हिन्दी का है .

प्राणवायु सी साँसों में, जीवन हिन्दी का है .

 

 जैसे भावों को माँ समझे और सबको समझाए  .

माँ के वशभर सन्तानों का सिर न कभी झुक पाए .

अपने अन्तर की बातें माँ से ही कह सकते है .

उसके अंचल की छाया में निर्भय रह सकते हैं .

माँ जैसा ही प्यारा जो , अंचल हिन्दी का है .

एक दिवस ही क्यों अपना हर दिन हिन्दी का है.

 

हिन्दी भाषा मन की देहरी , सही पता है घर का .

चाहे आना जाना सहज सुगम रहता है भाव-प्रवर का .

हिन्दी अपने घर का आँगन , जहाँ बसा है बचपन .

गभुआरे बालों की खुशबू रची बसी है कण कण .

अधरों पर पहला उच्चारण हिन्दी का हो .

एक दिवस ही क्यों अपना हर दिन हो .

 

धरती है यह धरती पर ही पाँव जमा सकते हैं

चलते चलते बिना रुके मंजिल को पा सकते हैं .

इसके उर्वर अंचल में उगती फसलें सपनों की ,

अनजानी सी राहों में यह भाषा है अपनों की .

दिल से दिल को जोड़े वह बन्धन हिन्दी का है .

एक दिवस ही क्यों अपना हर दिन हिन्दी का है .

 

 साथ दूध मे हिन्दी भी माँ ने मिसरी सी घोली .

संस्कृति की देहरी पर जैसे सजी हुई रंगोली

सरल समर्थ व्याकरण सम्मत नदिया सी बहती है

अन्तर में रच बस जाएं उस बोली में कहती है .

धरा हमारी हिन्दी और गगन हिन्दी का है .

एक दिवस क्या हम सबका हर दिन हिन्दी का है

 

देश प्रदेश सभी की अपनी भाषाएं उत्तम हैं .

बात एक को चुनने की तो हिन्दी सर्वोत्तम है

हिन्दी ऐसा उपवन जिसमें मुकुलित सभी विधाएं,

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम गूँजें यही सदाएं

हिन्दी बोलें पढ़ें लिखें , वन्दन हिन्दी का हो .

एक दिवस ही क्यों अपना हर दिन हिन्दी का हो .  

-----------------------------------------------------------------

25 टिप्‍पणियां:

  1. वाक़ई हिंदी प्रेमियों के लिए एक दिन नहीं सारे दिन हिंदी को समर्पित हैं!! सुंदर भावों से सजी रचना!

    जवाब देंहटाएं
  2. अपना हर दिन हिंदी का है 👌👌👌 सुंदर भाव ।।

    जवाब देंहटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2022) को  "भंग हो गये सारे मानक"   (चर्चा अंक 4554)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2022) को  "भंग हो गये सारे मानक"   (चर्चा अंक 4554)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!बहुत बढ़िया कहा दी सराहनीय।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह! बहुत बढ़िया कहा दी सराहनीय।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. जिनको स्मृति लोप की समस्या है, वे एक दिनी हैं। हमारी तो स्मृति ही हिन्दी है। अति सुन्दर कृति।

    जवाब देंहटाएं
  9. हिन्दी ऐसा उपवन जिसमें मुकुलित सभी विधाएं,

    उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम गूँजें यही सदाएं
    हर दिन हिंदी का हो
    बहुत ही लाजवाब सृजन।
    हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  10. हिन्दी ऐसा उपवन जिसमें मुकुलित सभी विधाएं,

    उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम गूँजें यही सदाएं
    हर दिन हिंदी का हो...
    बहुत सटीक एवं सार्थक लाजवाब सृजन
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  11. श्रेष्ठ रचना है यह आ. गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी!

    जवाब देंहटाएं
  12. देश प्रदेश सभी की अपनी भाषाएं उत्तम हैं .

    बात एक को चुनने की तो हिन्दी सर्वोत्तम है।
    सटीक! मैं ऐसा ही मानती हूँ।
    धारदार सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं